धर्मान्तरण विरोधी कानून बनाने व मठ-मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने की मांग
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। विश्व हिंदू परिषद ने धर्मान्तरण विरोधी कानून बनाने व मठ मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने की मांग प्रदेश सरकार से की है। विहिप ने इस संबंध में प्रदेश के मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया है।
विहिप के जिला मंत्री जितेंद्र बेबनी ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद से भारत का संत समाज व हिंदू समाज धर्मान्तरण विरोधी कानून बनाने और मठ-मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कराये जाने की मांग करता रहा है। उत्तराखण्ड सरकार ने धर्मान्तरण विरोधी कानून बनाकर एक अच्छी पहल की है। र्मंदरों के अधिग्रहण की व्यवस्था अंग्रेजो ने मंदिरों की सम्पत्ति पर स्थायी रूप से कब्जा करने के लिए की थी। यह उप निवेशकों की मानसिकता का ही परिणाम है कि स्वतंत्रता के बाद भी यह व्यवस्था जारी है। मठ-मंदिर हिन्दू समाज की आत्मा है। उन्होंने कहा कि हिंदू समाज अपनी आत्मा को मुक्त कराने के लिए संकल्पबद्ध हो गया है। हिंदू समाज की भावनाओं को समझते हुए पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत द्वारा हरिद्वार में 9 अप्रैल 2021 को कुंभ के पावन अवसर पर संतो के सामने इस विषय पर घोषणाएं की थी। हिंदू संतो को सर्वोच्च स्थान देने हेतु एक प्रस्ताव पास किया जाए। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका ने भी कई मामलों में निर्देश दिए हैं कि सरकारों को र्मंदरों का संचालन नहीं करना चाहिए। उन्होंने उत्तराखण्ड सरकार से चारधाम देवस्थानम अधिनियम 2019 को रद्द करने की मांग की है। साथ ही उत्तराखण्ड के देवस्थानों की वैकल्पिक व्यवस्था सुनिश्चित की जाय। ज्ञापन देने वालों में जिला मंत्री विहिप जितेंद्र बेबनी, जिला संयोजक बजरंग दल आशीष सतीजा, जिला उप संयोजक बजरंग दल मनोज शाह, गौर रक्षा प्रमुख सचिन नेगी, नगर संयोजक बजरंग दल हर्ष भाटिया शामिल थे।