आशा कार्यकत्रियों ने 17वें दिन भी तहसील में दिया धरना
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। लंबे समय से मांगों की अनदेखी होने पर आशा कार्यकत्रियों ने प्रदेश सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। उन्होंने सरकार पर उपेक्षा किये जाने का आरोप लगाते हुए कहा कि वह पिछले 17 दिन से मांगों को लेकर धरना दे रहे है, लेकिन सरकार उनकी सुध नहीं ले रही है। उन्होंने कहा कि आशा कर्मचारी विषम परिस्थितियों में अपनी जिम्मेदारी बेहतर तरीके से निभा रही हैं। मानदेय बढ़ाने सहित अन्य मांगों को लेकर पूर्व में भी सरकार से कई बार मांग की गई। इसके बावजूद भी सरकार अपने अड़ियल रवैये पर स्थिर है। जो कि प्रदेश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। इससे कर्मचारियों में खासा रोष भी पनप रहा है।
बुधवार को 17वें दिन भी आशा कार्यकत्रियोंं ने तहसील परिसर में धरना दिया। उन्होंने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। मांग पूरी न होने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी। अध्यक्ष प्रभा चौधरी, उपाध्यक्ष मीरा नेगी ने कहा कि संगठन लंबे समय से आशा कार्यकत्रियों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा, न्यूनतम 21 हजार रुपये का मानदेय देने, जब तक मानदेय और कर्मचारियों का दर्जा मिलने तक अन्य विभागों से योजनाओं में लगे कार्मिकों की तरह मानदेय देने, सेवानिवृत्त होने पर पेंशन की सुविधा देने, कोविड कार्यों में लगी आशा कार्यकत्रियों को दस हजार रुपये मासिक भत्ता, 50 लाख रुपये का बीमा और दस लाख का स्वास्थ्य बीमा देने, कोविड ड्यूटी के दौरान मृत आशा कर्मियों के आश्रितों को 50 लाख का बीमा और चार लाख का अनुग्रह राशि देने, सेवा के दौरान दुर्घटना या किसी तरह बीमारी होने पर सुरक्षा के लिए नियम बनाए और न्यूनतम दस लाख रुपये का मुआवजा देने, देय मासिक राशि और सभी मदों का समय से भुगतान करने, आशाओं के साथ सम्मानजनक व्यवहार करने, सभी अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति करने की मांग कर रहा है।