शुभांशु शुक्ला के साथ एक्सिओम-4 मिशन लॉन्च, पहली बार कोई भारतीय आईएसएस पहुंचेगा

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नईदिल्ली, भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को अंतरिक्ष ले जाने वाला एक्सिओम-4 मिशन कई बार टलने के बाद आज (25 जून) आखिरकार सफलतापूर्वक लॉन्च हो गया है। इस मिशन को स्पेस-एक्स के फाल्कन-9 रॉकेट से आज दोपहर 12:01 बजे फ्लोरिडा से लॉन्च किया गया। यह यान 26 जून की शाम लगभग 04:30 बजे अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (आईएसएस) से जुड़ जाएगा। इस मिशन के जरिए 41 साल बाद भारत का कोई नागरिक अंतरिक्ष में गया है।
एक्सिओम-4 मिशन अमेरिका की निजी कंपनी एक्सिओम स्पेस द्वारा संचालित एक व्यावसायिक मिशन है। इसमें नासा और स्पेस-एक्स का भी सहयोग है। इस मिशन में 4 (भारत, अमेरिका, पोलैंड और हंगरी) से अंतरिक्ष यात्री शामिल हैं। इसका उद्देश्य 14 दिन तक स्पेस स्टेशन पर रहकर विभिन्न वैज्ञानिक, तकनीकी और जैविक प्रयोग करना है। यह मिशन अंतरिक्ष में इंसानों की मौजूदगी और विज्ञान के भविष्य को लेकर कई अहम जानकारियां देगा।
यह मिशन भारत के लिए ऐतिहासिक है, क्योंकि पहली बार कोई भारतीय आईएसएस तक जाएगा। इससे पहले राकेश शर्मा 1984 में सोवियत मिशन से गए थे, लेकिन वह आईएसएस पर नहीं पहुंचे थे। शुक्ला की यह उड़ान भारत की बढ़ती अंतरिक्ष क्षमताओं और अंतरराष्ट्रीय सहयोग का प्रतीक है। यह मिशन भारत की वैज्ञानिक सोच को नई ऊंचाई देगा और युवाओं को अंतरिक्ष क्षेत्र में करियर बनाने के लिए प्रेरित करेगा।
इस मिशन के दौरान सभी अंतरिक्ष यात्री विज्ञान, जैव प्रौद्योगिकी और कृषि से जुड़े कई अहम प्रयोग करेंगे। इनमें टार्डिग्रेड्स जैसे सूक्ष्मजीवों की जीवन क्षमता और सायनोबैक्टीरिया के जरिए ऑक्सीजन निर्माण की संभावनाओं का अध्ययन शामिल है। इसके अलावा बीजों के अंकुरण, शैवाल की वृद्धि, मांसपेशियों की ताकत पर कम गुरुत्वाकर्षण का असर और डिजिटल उपकरणों के प्रयोग से जुड़ी प्रतिक्रियाओं का विश्लेषण भी किया जाएगा। ये सभी प्रयोग भविष्य के गहरे अंतरिक्ष अभियानों के लिए बेहद जरूरी हैं।
शुक्ला की यह यात्रा इशरो के गगनयान मिशन की तैयारी में बड़ी भूमिका निभाएगी। मिशन के दौरान जो भी तकनीकी डाटा और अनुभव मिलेगा, वह भविष्य के मानव मिशनों को सुरक्षित और प्रभावी बनाने में काम आएगा। यह खासतौर पर लाइफ सपोर्ट सिस्टम, अंतरिक्ष यान संचालन और क्रू सुरक्षा के क्षेत्र में यह मिशन भारत को जरूरी अनुभव देगा। शुक्ला का यह मिशन गगनयान की नींव मजबूत करेगा, जिसे 2026 में लॉन्च करने की योजना है।
शुक्ला उत्तर प्रदेश के लखनऊ के रहने वाले हैं। उन्होंने एनडीए से पढ़ाई की और 2006 में भारतीय वायुसेना में शामिल हुए। वह एक अनुभवी परीक्षण पायलट हैं और 2,000 घंटे से अधिक की उड़ान का अनुभव रखते हैं। उन्होंने भारत, रूस, अमेरिका, जर्मनी और जापान में अंतरिक्ष प्रशिक्षण प्राप्त किया है। 2019 में उन्हें भारत के पहले मानव मिशन गगनयान के लिए चुना गया था। अब वह अंतरिक्ष पहुंचने वाले दूसरे भारतीय होंगे।
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