लखनऊ, एजेन्सी। बाबरी विवाद मामले में सीबीआई अदालत 4 जून को भारतीय जनता पार्टी के नेताओं समेत सभी 32 आरोपियों के बयान दर्ज करेगी। इससे पहले विशेष अदालत (अयोध्या प्रकरण) ने 18 मई को सीबीआई को कुछ निर्देश दिए थे। इसमें कहा गया था कि बाबरी विवाद मामले की सुनवाई करने के उद्देश्य से न्यायालय कक्ष में वीडियो कॉन्फ्रेंस की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को पत्र भेजा जाए।
विवादित ढांचे के मामले में पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, बीजेपी नेता मुरली मनोहर जोशी, विनय कटियार, उमा भारती और विश्व हिंदू परिषद नेता चंपत राय आदि अभियुक्त हैं। विशेष न्यायाधीश एसके यादव ने अपने आदेश में यह भी जिक्र किया था कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछली आठ मई को विशेष न्यायालय को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए इस मामले की कार्यवाही जारी रखने के निर्देश दिए हैं, क्योंकि कोरोना संक्रमण के कारण घोषित लॉकडाउन में अभियुक्तों और गवाहों को अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश करना मुश्किल होगा।
…लेकिन 14 मई तक नहीं हुआ कुछ काम
विशेष सीबीआई अदालत ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुपालन में यह जरूरी है कि उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव अदालत कक्ष में वीडियो कांफ्रेंस की सुविधा उपलब्ध कराएं। हालांकि, वह पहले 14 मई तक यह काम पूरा कर लेने की बात कह चुके हैं लेकिन तय तारीख तक कुछ भी नहीं हुआ।
दर्ज किए गए थे 49 मुकदमे
इन सबके बीच इस बात पर गौर करना जरूरी है कि विशेष अदालत को सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार इस मामले की सुनवाई गत 20 अप्रैल तक पूरी कर लेनी थी लेकिन लॉकडाउन के कारण ऐसा नहीं हो सका। लिहाजा विशेष अदालत की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने इस मियाद को 31 अगस्त तक बढ़ा दिया। विशेष सीबीआई अदालत अभियोजन पक्ष के बयान दर्ज कर चुकी है और अब उसे अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा-313 के तहत अभियुक्तों के बयान दर्ज करने हैं। दरअसल, 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के मामले में 49 मुकदमे दर्ज किए गए थे। जांच के बाद 49 अभियुक्तों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया था। इनमें से 17 आरोपियों की मौत हो चुकी है।