उत्तराखंड

कृषि भूमि में पराली जलाने पर लगा प्रतिबंध

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वनों में आग लगाने पर आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत होगी कार्रवाई
जयन्त प्रतिनिधि।
चमोली : वनों में आग लगाने वालों के विरुद्ध आपदा प्रबंधन अधिनियम-2005 के प्रावधानों के अंतर्गत कठोर कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। जिला मजिस्ट्रेट हिमांशु खुराना ने इस संबंध में तत्काल प्रभाव से यह आदेश जारी कर दिया है। यह आदेश तत्काल प्रभाव से प्रभावी होगा।
चमोली जनपद में विभिन्न क्षेत्रों में जनसामान्य और उनके निकट वन क्षेत्रों में फैल रही भीषण वनाग्नि की घटनाओं से जन-धन के साथ वन्य जीवों एवं वन सम्पदा व पशुचारा की भारी क्षति हो रही है। प्रथम दृष्टया वन क्षेत्रों में वनाग्नि का एक मुख्य कारण कृषि भूमि में खेतों की सफाई से उत्पन्न मलवा, ढेर (ऑडा) तथा वन क्षेत्र के निकट असुरक्षित ढंग से कूड़े को जलाया जाना एवं विभिन्न मार्गों पर धूम्रपान सामग्री, अन्य ज्वलनशील सामग्री का अनुचित निस्तारण, लापरवाही पूर्वक सड़क, वन क्षेत्र में फेंके जाने से इस प्रकार की घटनायें घटित हो रही है। जिससे वन सम्पदा, वन्य जीव, पशुचारा और पर्यावरण को भारी क्षति हो रही है तथा जन जीवन को भारी खतरा उत्पन्न हो गया है। वनाग्नि की रोकथाम एवं वनों की सुरक्षा हेतु नगर पालिका परिषद, नगर पंचायत, जिला पंचायत, वन में और उसके निकटतम क्षेत्रान्तर्गत किसी भी व्यक्ति द्वारा कूड़ा व अन्य अपशिष्ट पदार्थों एवं कृषि भूमि में पराली जलाना पूर्ण रूप से प्रतिबन्धित किया गया है। जिला मजिस्ट्रेट चमोली हिमांशु खुराना ने समस्त जनपद वासियों को इस आदेश/नोटिस के माध्यम से निर्देशित/सूचित किया है कि यदि कोई भी व्यक्ति/संस्था/विभाग खुले में आगजनी करते हुए पाया जाता है अथवा किसी भी व्यक्ति/संस्था एवं विभाग की लापरवाही एवं असुरक्षा के कारण कोई आगजनी होती है अथवा फैलती है तो उसके विरुद्ध आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 (अंतर्गत धारा 51 से 60) के प्रावधानों के अंतर्गत कठोर कार्यवाही सुनिश्चित की जायेगी। जिसके लिए वे स्वयं जिम्मेदार रहेगें।

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