सर्दियों में पानी की किल्लत को रहें तैयार, 10 सालों की सबसे बड़ी गौला नदी के जलस्तर में गिरावट
हल्द्वानी। सर्दियों में लोगों को पानी की किल्लत का सामना करना पड़ सकता है। नदी में लगातार घटता जलस्तर इस ओर संकेत दे रहा है। नवंबर माह में गौला नदी के जलस्तर में बीते 10 सालों की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। इस साल नवंबर में अब तक गौला का अधिकतम जलस्तर 466 क्यूसेक दर्ज किया गया है। जो कि अन्य वर्षों के मुकाबले 150 क्यूसेक तक कम है।
स्थिति यह है कि सिंचाई विभाग को अभी से नहरों में पानी की रोस्टिंग करनी पड़ रही है। यही स्थिति रही कि आगामी दिनों में सिंचाई और पेयजल को लेकर बड़ी समस्या का सामना करना पड़ सकता है। विभागों के अधिकारी भी इस बात को लेकर चिंतित हैं। गौला नदी के पानी से ही शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में 60 : पेयजल की आपूर्ति की जाती है।
साथ ही किसान खेतों में सिंचाई के लिए गौला पर ही निर्भर रहते हंै। नवंबर माह में ही जलस्तर में आई कमी से सिंचाई का संकट खड़ा हो गया है। सिंचाई विभाग के अधिकारियों के अनुसार आने वाले महीनों में जलस्तर में और कमी होने पर किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
नहरों के लिए रोज 360 क्यूसेक की जरूरतरू सिंचाई विभाग को नहरें चलाने के लिए 360 क्यूसेक पानी की जरूरत हर रोज होती है। इसके अलावा 30 क्यूसेक पानी रोजाना पेयजल के लिए जल संस्थान को दिया जाता है। ऐसे में हर रोज पहाड़ों से नदी में आने वाला सारा पानी गौला बैराज से ही गायब हो जा रहा है।
गौला नदी से क्षेत्र की चार प्रमुख नहरों से सिंचाई के लिए पानी छोड़ा जाता है। नदी का जलस्तर कम होने से नहरों में अभी से रोस्टिंग शुरू हो गई है। एक नहर को चौथे दिन पानी मिल पा रहा है। हल्द्वानी के साथ ही कालाढूंगी रोड, लालकुआं, रामपुर रोड व गौलापार क्षेत्र की सिंचाई व्यवस्था भी गौला नदी पर निर्भर है। किसानों को खेतों के लिए लगातार पानी की जरूरत रहती है।
मानसून के दौरान इस वर्ष कम हुई बारिश से नदी के जल स्तर में अंतर आया है। अभी रोस्टिंग के अनुसार सिंचाई के लिए पानी छोड़ा जा रहा है। आगे और जलस्तर कम हो सकता है।
मनोज तिवारी, अपर सहायक अभियंता सिंचाई विभाग।