भारतीय उच्च शिक्षण संस्थान भी दूसरे देशों में खोल सकेंगे र्केपस
नई दिल्ली , एजेंसी।। उच्च शिक्षा को वैश्विक स्वरूप देने की पहल के तहत भारतीय उच्च शिक्षण संस्थान भी अब दुनिया के दूसरे देशों में अपने र्केपस स्थापित कर सकेंगे। शिक्षा मंत्रालय ने नई शिक्षा नीति में देश में विदेशी विश्वविद्यालयों को र्केपस खोलने की अनुमति देने के प्रस्ताव पर उठ रहे सवालों के बाद स्थिति साफ की है। साथ ही कहा है कि वह भी दूसरे देशों में अपने उच्च शिक्षण संस्थानों के र्केपस खोलने की तैयारी कर रहा है। मंत्रालय ने यह भी साफ किया है, कि देश में जो भी विदेशी विश्वविद्यालय अपना र्केपस खोलेंगे, वह उनकी शर्तो के तहत काम कर रहेंगे। साथ ही उन्हें भारतीय शिक्षा व्यवस्था से जुड़कर ही काम करना होगा। इससे उच्च शिक्षण संस्थानों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी।
वहीं हर साल जिस तरीके से बड़ी संख्या में भारतीय छात्र पढ़ने के लिए दुनिया के दूसरे देशों को जाते है, वह विदेशी उच्च शिक्षण संस्थानों के यहां र्केपस खुलने के बाद देश में ही पढ़ेंगे। उनका पलायन नहीं होगा।
मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक हर साल करीब सात लाख भारतीय छात्र पढ़ने के लिए विदेश जाते है। जो वहां पढ़ाई और रहने-खाने पर करीब डेढ लाख करोड़ खर्च करते है। इससे देश को जहां आर्थिक मोर्चे पर भी नुकसान उठाना होता है, वहीं प्रतिभा भी नुकसान होता है। क्योंकि पढ़ाई पूरी करने के बाद ज्यादा भारतीय छात्र वहीं कोई नौकरी हासिल कर लेते है।
मंत्रालय से जुड़े सूत्रों की मानें तो फिलहाल जिन देशों में भारतीय उच्च संस्थानों के र्केपस खोलने की योजना बनाई जा रही है, उनमें वह देश शामिल है, जहां से मौजूदा समय में पढ़ने के लिए सबसे ज्यादा छात्र आते है। इनमें आसियान देशों के साथ अफ्रीकी और गल्फ देश शामिल है।
सूत्रों के मुताबिक वैसे भी भारतीय उच्च शिक्षण संस्थानों की ओर ज्यादा से ज्यादा विदेशी छात्रों को लुभाने की योजना पर काम कर रहे है। ऐसे में यदि वहां संस्थान खोल दिए जाएं, तो और बड़ी संख्या में छात्रों को इससे जोड़ा जा सकेगा। गौरतलब है कि नई शिक्षा नीति में देश में विदेशी उच्च शिक्षण को र्केपस खोलने की अनुमति देने का प्रस्ताव किया है। जिसे लेकर कुछ लोग सवाल खड़ा कर रहे थे।