सत्यम ऑटो से निष्कासित श्रमिकों के समर्थन में आए भाकियू, कांग्रेस व भाजपा नेता
हरिद्वार। नौकरी पर वापस लिए जाने के लिए चार साल से आंदोलन कर रहे सत्यम ऑटो के समर्थन में भाकियू (टिकैत), भाजपा, कांग्रेस सहित कई राजनीतिक व सामाजिक संगठनों तथा ट्रेड यूनियनों ने आंदोलन करने की चेतावनी दी है। प्रैस क्लब में आयोजित प्रैसवार्ता के दौरान सत्यम ऑटो श्रमिकों के नेता महिपाल सिंह रावत ने बताया कि नौकरी से हटाए गए चार सौ श्रमिक पिछले चार साल से नौकरी बहाल किए जाने के लिए आंदोलन कर रहे हैं। आंदोलन कर रहे श्रमिक चार साल में जिला प्रशासन, श्रम विभाग सहित तमाम संबंधित विभागों व जनप्रतिनिधियों से गुहार लगा चुके हैं। लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ। अड़ियल रवैया अपनाए कंपनी प्रबंधन उच्चाधिकारियों के आदेश भी नहीं मान रहा है। अधिकारियों के आदेश के बाद भी श्रमिकों को नौकरी पर बहाल करने को तैयार नहीं है। बीती 7 अप्रैल को जिला अधिकारी व सहायक श्रमायुक्त की मौजदूगी में हुई त्रिपक्षीय वार्ता में अनुशासन पत्र देने के साथ बारी-बारी से हटाए गए सभी श्रमिकों को नौकरी पर बहाल किए जाने पर सहमति बनी थी। लेकिन अभी तक किसी भी श्रमिक को काम पर वापस नहीं लिया गया। लंबे समय से बेरोजगारी झेल रहे श्रमिकों की आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो गयी है। बच्चों की स्कूल फीस व उनके लिए भोजन भी श्रमिक नहीं जुटा पा रहे हैं। महिपाल सिंह रावत ने बताया कि तीन सौ श्रमिक एक जुलाई से रोशनाबाद स्थित इन्द्रा अम्मा भोजना पर धरना दे रहे हैं। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि जल्द श्रमिकों को काम पर वापस नहीं लिया गया तो परिवार सहित कंपनी गेट पर धरना दिया जाएगा। श्रमिकों की मांगों व आंदोलन का समर्थन करते हुए भाकियू के प्रदेश अध्यक्ष विजय शास्त्री ने कहा कि शासन प्रशासन तत्काल कदम उठाते हुए पीड़ित श्रमिकों की कंपनी में वापसी सुनिश्चित कराए। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि जल्द सभी श्रमिकों को नौकरी पर बहाल नहीं किया गया तो कर्मचारियों के साथ भाकियू कार्यकर्ता भी कंपनी गेट पर धरना देंगे। भाजपा पार्षद अनिरूद्ध भाटी, राजेश शर्मा, कांग्रेस पार्षद अनुज सिंह, कांग्रेस नेता संजीव चौधरी ने भी कर्मचारियों की मांगों का समर्थन करते हुए उनके संघर्ष में पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया।
प्रैसवार्ता के दौरान मौजूद भाजपा व कांग्रेस नेता आपस मे ंभिड़ गए। कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया कि पार्टी की सरकार होने के बाद भी भाजपा नेता आंदोलन की बात कर रहे हैं। जबकि आंदोलन करने के बजाए भाजपा नेता सरकार के स्तर पर आसानी से श्रमिकों की समस्या का समाधान करा सकते हैं। इस पर भाजपा नेताओं ने प्रतिवाद करते हुए कांग्रेस नेताओं पर राजनीति करने का आरोप लगाया। इसे लेकर दोनों दलों के नेताओं में काफी देर तक नोंकझोंक चलती रही।