भूलेख कर्मचारियों ने शासनादेश वापस लेने की मांग की

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जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार।
उत्तराखण्ड भूलेख संवर्गीय कर्मचारी महासंघ के आह्वान पर पर्वतीय राजस्व निरीक्षक, उपनिरीक्षक एवं राजस्व सेवक संघ, रजिस्ट्रार कानूनगो संघ, लेखपाल संघ द्वारा भू-राजस्व अधिनियम 1901, जमीदारी एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम 1950, भू-लेख नियमावली, तहसीलदार सेवा नियमावली 1966 व नायब तहसीलदार सेवा नियमावली 2009 में उल्लेखित प्रावधानों के विरोध में मंगलवार को दूसरे दिन भी कार्य बहिष्कार जारी रखा। भूलेख कर्मचारियों ने प्रदेश सरकार से शासनादेश को तत्काल वापस लेने की मांग की।
मंगलवार को तहसील में कार्य बहिष्कार कर धरना देते हुए कर्मचारियों ने कहा कि राजस्व विभाग के भूलेख संवर्गीय कर्मचारी राजस्व एवं पुलिस प्रशिक्षण एकादमी अल्मोड़ा नैनीताल, प्रतापनगर टिहरी से व्यावहारिक एवं सैद्धांतिक प्रशिक्षण, जिसमें फील्ड एवं ऑफिस संबंधी एक निश्चित अवधि का प्रशिक्षण प्राप्त करने तथा उसमें सफलता पूर्ण उत्तीर्ण करने के बाद ही भूलेख एवं पुलिस कार्यों के संपादन के लिए नियुक्ति की जाती है। कर्मचारी को समय-समय पर पृथक से जिला एवं राज्य स्तरीय प्रशिक्षण दिये जाते है। जबकि लिपिक संवर्ग के पास पत्रावलियों के रख-रखाव की जिम्मेदारी होती है। प्रशिक्षण की व्यावहारिक जानकारी फील्ड में किये गये कार्य परिस्थिति का भूलेख संवर्गीय कर्मचारी (राजस्व अधिकारी) का एकाडमी एवं फील्ड का लंबा अनुभव होता है। जबकि लिपिक संवर्गीय कर्मचारी केवल उच्चाधिकारियों के निर्गत निर्देश के अनुसार कार्य करते है। राजस्व उपनिरीक्षक, राजस्व निरीक्षक और नायाब तहसीलदार को प्रशिक्षण दिया जाता है। इस अवसर पर भूलेख संवर्ग के अध्यक्ष अनिल कुकरेती, लेखपाल संघ के अध्यक्ष विनोद जोशी, रजिस्ट्रार कानूनगो संघ के अध्यक्ष कमल शर्मा ने कहा कि लिपिक संवर्ग पहले ही नियम विरूद्ध भूलेख लिपिक पर काबिज है, जबकि यह पद पटवारी से प्रोन्नत है। धरना देने वालों में अमित नेगी, हर्षवद्र्धन, पूरण सिंह चौहान, विजय मोहन सिंह, शिवदत्त नौटियाल, राजपाल सिंह रावत, कमल किशोर शर्मा, आशीष केमनी, राजेश राणा आदि शामिल थे।

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