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शिवेसना सांसद का बड़ा खुलासा: उद्घव ठाकरे खुद चाहते थे भाजपा से गठबंधन

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मुंबई। शिवसेना प्रमुख उद्घव ठाकरे महाविकास आघाड़ी से गठबंधन तोड़कर भाजपा से गठबंधन करना चाहते थे। इस बारे में उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से एक घंटे चर्चा भी हुई । लेकिन इसके बाद ही भाजपा के 12 विधायकों को साल भर के लिए निलंबित कर भाजपा नेतृत्व को गलत संदेश दिया गया, और बनती बात बिगड़ गई। यह तथ्य आज मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की उपस्थिति में शिवसेना के नए लोकसभा गटनेता चुने गए राहुल शेवाले ने दिल्ली में उद्घाटित किए।
राहुल शेवाले ने कहा कि 2019 में भाजपा के साथ गठबंधन में चुनकर आए शिवसेना सांसद बार-बार उद्घव ठाकरे से कहते रहे थे कि वे भाजपा के साथ गठबंधन में चुनाव लड़कर चुनाव जीते हैं। महाविकास आघाड़ी में रहते हुए 2024 के लोकसभा चुनाव में उन्हें दिक्कत हो सकती है। इसलिए शिवसेना को पुन: भाजपा से गठबंधन पर विचार करना चाहिए।
राहुल के अनुसार, इस संबंध में सांसदों की उद्घव से चार-पांच बार चर्चा हुई। इन चर्चाओं में उद्घव भी भाजपा के साथ गठबंधन करने पर सहमत थे। मुख्यमंत्री के रूप में 21 जून, 2021 को अपनी दिल्ली यात्रा के दौरान उनकी इस बारे में प्रधानमंत्री से एक घंटे चर्चा भी हुई। लेकिन जून में हुई इस बैठक के बाद जुलाई में विधानमंडल के मानसून सत्र के पहले ही दिन भाजपा के 12 विधायक एक साल के लिए सदन से निलंबित कर दिए गए। ये भाजपा के वरिष्ठ नेतृत्व के लिए गलत संदेश था। इस तरह के प्रयास जब-जब शुरू हुए, तब-तब शिवसेना से गलत संदेश जाते गए और भाजपा से गठबंधन की संभावनाएं धूमिल हो गईं।
राहुल ने बात बिगड़ने का ठीकरा शिवसेना प्रवक्ता एवं संसदीय दल के नेता संजय राउत पर फोड़ा और कहा कि बातें बिगड़ने में वह भी एक बड़ा कारण हैं। राहुल शेवाले के अनुसार, एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद भी उद्घव ठाकरे के बांद्रा स्थित निवास मातोश्री पर सांसदों से चर्चा के दौरान उद्घव ठाकरे ने कहा कि मुझे भी भाजपा से गठबंधन करना है। मैंने अपने स्तर पर प्रयास किए। अब आप लोग अपने स्तर पर योग्य निर्णय कीजिए।
इसी बैठक में इससे पहले उद्घव ठाकरे ने सांसदों को यह कहकर समझाने की कोशिश की थी कि हम इस समय महाविकास आघाड़ी में हैं। हमें उनके साथ ही रहना है। उनके साथ ही चुनाव लड़ना है, लेकिन उद्घव की इस बात का विरोध करते हुए शिवसेना सांसदों ने कहा था हम भाजपा के साथ गठबंधन में ही चुनकर आए हैं, और हमें भाजपा के साथ ही रहना चाहिए।
सांसदों का रुख देखकर इसी बैठक में उद्घव ठाकरे ने कहा था कि यदि भाजपा एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाती है, तो मैं अपने विधायकों की बात मानकर भाजपा के साथ गठबंधन में जाने को तैयार हूं। किंतु एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद भी उद्घव ठाकरे और उनके करीबियों ने महाविकास आघाड़ी की रट लगाए रखी। जिसके कारण सांसद दुविधा में पड़ गए।
अगली बैठक में सांसदों ने फिर भाजपा के राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार को समर्थन देने के लिए यह कह कर राजी किया कि ये भाजपा से पुन: जुड़ने की ओर एक कदम हो सकता है। लेकिन फिर उपराष्ट्रपति पद के राजग प्रत्याशी को समर्थन न देकर शिवसेना ने पहले की गलती को दोहरा दिया। राहुल ने यह भी कहा कि शिवसेना अभी भी राजग का हिस्सा है। क्योंकि राज्य में महाविकास आघाड़ी बनते ही जब अरविंद सावंत ने केंद्रीय मंत्रीपद से इस्तीफा दिया, तो उसमें शिवसेना के राजग छोड़ने का जिक्र कहीं नहीं था।

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