अतीक के परिवार का काला चिट्ठा: पांच में से चार बेटों का आपराधिक रिकॉर्ड, भाई अशरफ रहा हमेशा साथ; बेगम है परछाई
प्रयागराज, एजेंसी। यूपी में ढेरों ऐसे गैंगस्टर पैदा हुए जिन्होंने सालों तक अपने खौफ के नाम पर किसी राजा की तरह शासन किया। दबंगई के दम पर इन्होंने बाहुबली का तमगा हासिल किया और फिर सफेदपोश भी बने।आज हम उत्तर प्रदेश के उस कुख्यात डॉन अतीक अहमद के बारे में बता रहे हैं, जिसने कम उम्र में ही अपराध की काली दुनिया में अपने लिए जगह बना ली। वहीं रविवार को उमेश पाल अपहरण कांड में नामजद अतीक अहमद को यूपी पुलिस गुजरात की साबरमती जेल से सड़क मार्ग के रास्ते ला रही है। अतीक अहमद को प्रयागराज आने में करीब 36 से 40 घंटे लगने की संभावना है। आइए जानते हैं अतीक और उसके परिवार के आपराधिक रिकॉर्ड के बारे में विस्तार से…
10 अगस्त 1962 को अब के प्रयागराज और तब के इलाहाबाद स्थित चाकिया नाम के मोहल्ला में अतीक अहमद का जन्म हुआ। पिता फिरोज अहमद तांगा चलाकर परिवार चलाते थे। अतीक घर के पास में स्थित एक स्कूल में पढ़ने लगा। 10वीं में पहुंचा तो फेल हो गया। इस बीच, वह इलाके के कई बदमाशों की संगत में आ गया। जल्दी अमीर बनने के लिए उसने लूट, अपहरण और रंगदारी वसूलने जैसी वारदातों को अंजाम देना शुरू कर दिया। 1997 में उस पर हत्या का पहला मुकदमा दर्ज हुआ।
उस समय इलाहाबाद के पुराने शहर में चांद बाबा का खौफ हुआ करता था। चांद बाबा इलाहाबाद का बड़ा गुंडा माना जाता था। आम जनता, पुलिस और राजनेता हर कोई चांद बाबा से परेशान थे। अतीक अहमद ने इसका फायदा उठाया। पुलिस और नेताओं से सांठगांठ हो गई और कुछ ही सालों में वह चांद बाबा से भी बड़ा बदमाश बन गया। जिस पुलिस ने अतीक को शह दे रखी थी, अब वही उसकी आंख की किरकिरी बन गया। अब उसे इन सबसे बचने का सबसे आसान तरीका राजनीति का लगा और फिर इसने 1989 में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर इलाहाबाद पश्चिमी सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत गया। निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर राजनीति की शुरुआत करने के बाद अतीक समाजवादी पार्टी में शामिल हुआ फिर अपना दल में आ गया। अतीक पांच बार विधायक और एक बार फूलपुर से सांसद रहा।
अतीक अहमद ने 1996 में शाइस्ता परवीन से निकाह किया। इन दोनों के पांच बेटे हैं- मोहम्मद उमर, मोहम्मद अली और तीन नाबालिग बेटे। इसके पांच में से चार बेटों का भी आपराधिक रिकॉर्ड है। दो बेटे- मोहम्मद उमर और मोहम्मद अली जेल में बंद हैं। जबकि, दो बेटे- मोहम्मद अहजम और मोहम्मद आबान के बारे में पता नहीं चल पाया कि ये अभी कहां हैं।
दो लाख के इनामी मोहम्मद उमर पर रंगदारी का आरोप है। पिछले साल अगस्त में उसने सीबीआई के सामने सरेंडर कर दिया था। वहीं, मोहम्मद अली पर हत्या के प्रयास का मामला दर्ज है। जबकि, दो बेटों को उमेश पाल हत्याकांड के मामले में पुलिस ने हिरासत में लिया है। रोचक बात यह है कि पुलिस इससे साफ इनकार कर रही है लेकिन इनकी मां शाइस्ता परवीन का कहना है कि दोनों को पुलिस अपने साथ लेकर गई थी और तब से ही दोनों का कोई सुराग नहीं है।
साल की शुरुआत में ही अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन बहुजन समाज पार्टी में शामिल हुई है। उनके अलावा बेटे अहजम अहमद ने भी बसपा की सदस्यता ली है। चर्चा थी कि बसपा उन्हें प्रयागराज मेयर पद का प्रत्याशी बना सकती हैं लेकिन उमेश पाल की हत्या के बाद अब ये होता हुआ मुश्किल नजर आ रहा है। बता दें कि यूपी विधानसभा चुनाव से पहले शाइस्ता परवीन ने असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ज्वाइन किया था। खुद ओवैसी ने लखनऊ में उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई थी। इसके बाद उन्हें चुनाव में उम्मीदवार भी बनाया गया लेकिन उन्होंने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था।
2004 के आम चुनाव में फूलपुर से सपा के टिकट पर अतीक अहमद ने लोकसभा चुनाव जीत और सांसद बन दिल्ली आ गए। इसके बाद इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा सीट खाली हो गई। इस सीट पर हुए उपचुनाव में सपा ने अतीक के छोटे भाई अशरफ को टिकट दिया था। लेकिन बसपा ने उसके सामने राजू पाल को खड़ा किया। उस उपचुनाव में बसपा प्रत्याशी राजू पाल ने अतीक अहमद के भाई अशरफ को हरा दिया था। इस हार को अशरद ही नहीं बल्कि अतीफ भी पचा नहीं पाया।
उपचुनाव में जीत दर्ज कर पहली बार विधायक बने राजू पाल की कुछ महीने बाद ही 25 जनवरी, 2005 को दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकांड में देवी पाल और संदीप यादव की भी मौत हुई थी। दो अन्य व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हुए थे। इस हत्याकांड में सीधे तौर पर सांसद अतीक अहमद और उनके भाई अशरफ का कनेक्शन सामने आया था। फिलहाल अशरफ बरेली जेल में बंद है।