बुद्ध मानवता के सामूहिक बोध का अवतरण हैं : राज्यपाल
देहरादून। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने आईआरडीटी ऑडिटोरियम, देहरादून में बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग करते हुए उपस्थित लोगों को बुद्ध पूर्णिमा उत्सव की बधाई दी। उन्होंने विश्व भर में फैले भगवान बुद्ध के अनुयायियों को भी इस अवसर पर वैशाख माह की इस पवित्र पूर्णिमा की बधाई और शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर राज्यपाल द्वारा धर्माचार्य शांतम सेठ एवं तिब्बतन वूमेन एसोसिएशन को धम्म रत्न पुरस्कार-2024 से सम्मानित किया गया।राज्यपाल ने कहा कि बुद्ध मानवता के सामूहिक बोध का अवतरण हैं। बुद्ध बोध भी हैं, और बुद्ध शोध भी हैं। बुद्ध विचार भी हैं, और बुद्ध संस्कार भी हैं। बुद्ध इसलिए विशेष हैं क्योंकि उन्होंने केवल उपदेश नहीं दिये, बल्कि उन्होंने मानवता को ज्ञान की अनुभूति करवाई। उन्होंने महान वैभवशाली राज्य और चरम सुख सुविधाओं को त्यागने का साहस किया।राज्यपाल ने कहा कि भगवान बुद्ध ने एहसास करवाया कि प्राप्ति से भी ज्यादा महत्व त्याग का होता है। त्याग से ही प्राप्ति पूर्ण होती है। इसलिए, वे चरम सुख-सुविधाओं को त्यागकर जंगलों में विचरे, उन्होंने तप किया, शोध किया। उस आत्मशोध के बाद जब वो ज्ञान के शिखर तक पहुंचे, तो उन्होंने हमें मंत्र दिया था-अपना दीपक स्वयं बनो। मेरे वचनों का परीक्षण करके ही उन्हें आत्मसात करो।राज्यपाल ने कहा कि जब हम भगवान बुद्ध की तरह मानवीय जीवन को इस पूर्णता में देखने लगते हैं, तो विभाजन और भेदभाव के लिए कोई जगह नहीं बचती। तब हम खुद ही वसुधैव कुटुंबकम की उस भावना को जीने लगते हैं जो सर्वे भवन्तु सुखिनः से लेकर ह्यभवतु सब्ब मंगलमह्ण के बुद्ध उपदेश तक झलकती है। इसीलिए, भौगोलिक सीमाओं से ऊपर उठकर बुद्ध हर किसी के हैं, हर किसी के लिए हैं।राज्यपाल ने कहा कि भारत भगवान बुद्ध की धरती है। यह हम सबके लिए गर्व की बात है। यदि हम सभी को जीवन को खुशहाल बनाना है तो भगवान बुद्ध का अनुसरण कर करूणा, सेवा, त्याग की भावना को आत्मसात करना होगा। उन्होंने कहा कि बुद्ध के हर कथन में अपार शक्ति है। मुझे पहाड़ों में खासकर लद्दाख में सेवा का मौका मिला वहां पर भगवान बुद्ध के उपदेशों, विचारों को सुनने और जानने का अवसर प्राप्त हुआ।