शुभ कार्य की काल गणना केवल भारतीय संस्कृति में: श्रुति
केंद्रीय आर्य युवक परिषद की ओर से आयोजित की गई ऑनलाइन गोष्ठी
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : केंद्रीय आर्य युवक परिषद की ओर से आयोजित ऑनलाइन गोष्ठी में योगाचार्य श्रुति सेतिया ने कहा कि शुभ कार्य समय की काल गणना केवल भारतीय संस्कृति में ही विद्यमान है। संवत्सर अर्थात इस सृष्टि का पहला उषाकाल। समग्र जगत का प्रथम सूर्योदय। कहा कि हर भारतीय को अपनी संस्कृति पर गर्व होना चाहिए।
ऑनलाइन गोष्ठी के दौरान सदस्यों ने नव संवत्सर के महत्व पर चर्चा की। योगाचार्य श्रुति सेतिया ने कहा कि जिस क्षण सृष्टि शुरू हुई उसी समय से संवत्सर का प्रारंभ होता है। पुरातन धर्म ग्रंथों के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि ही सृष्टि की जन्म तिथि है। इसलिए इसको सृष्टि का प्रथम दिवस भी कहते हैं। चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को ही प्रभु राम का राज्याभिषेक, नवरात्र स्थापना का प्रथम दिवस, सिख परंपरा के द्वितीय गुरु गुरु अंगद देव जी का जन्म दिवस ,आर्य समाज स्थापना दिवस, संत झूलेलाल दिवस, शालिवाहन संवत्सर का प्रारंभ दिवस, युगाब्द संवत्सर का प्रथम दिन है। कहा कि वर्तमान भारत में जिस प्रकार से सांस्कृतिक मूल्यों का क्षरण हुआ है उसके चलते हमारी परंपराओं पर भी गहरा प्रभाव पड़ा है। लेकिन, आज भी समाज का हर वर्ग भारतीय कालगणना का ही सहारा लेता है। हमारे त्यौहार भी प्रकृति और गृह नक्षत्रों पर ही आधारित होते हैं , इसलिए कहा जा सकता है कि नववर्ष प्रतिपदा पूर्णता वैज्ञानिक और प्राकृतिक नववर्ष है। भारत की संस्कृति मानव जीवन को सुंदर और सुखमय बनाने का मार्ग प्रशस्त करती है । केंद्रीय आर्य युवक परिषद के अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि हमे पुरातन भारतीय संस्कृति पर गर्व करना चाहिए । मुख्य अतिथि राजेश मेहंदीरत्ता व अध्यक्ष उर्मिला आर्य(गुरुगांव) ने भी अपनी जड़ों से जुडने का आह्वान किया । राष्ट्रीय मंत्री प्रवीन आर्य ने कहा कि भारतीय काल गणना पूर्णतया वैज्ञानिक है। इस मौके पर गायक रविन्द्र गुप्ता, प्रवीना ठक्कर, कमलेश चांदना, आशा ढींगरा, दीप्ति सपरा, सुषमा बजाज,ईश्वर देवी,कमला हंस,रचना वर्मा,सुनीता अरोड़ा, आशा आर्या,राजश्री यादव,रजनी चुघ, पिंकी आर्य आदि मौजूद रहे।