हाथी के आंतक से निजात दिलाने की मांग की
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। विकासखंड रिखणीखाल क्षेत्र में हाथी का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है। हाथी के आंतक से परेशान लोगों ने वन विभाग से हाथी के आंतक से निजात दिलाने की गुहार लगाई है। ग्रामीणों ने आरोप लगाते हुए कहा कि काफी समय से हाथी के आंतक से निजात दिलाने की मांग कर रहे है, लेकिन जिम्मेदार इस ओर ध्यान देने को तैयार नहीं है।
क्षेत्र पंचायत सदस्य कर्तिया विनीता ध्यानी ने बताया कि हाथी दीवार को तोड़कर गजरोड़ा ग्रीन वैली में कभी भी आ जाते है। हाथी टस्कर कई बार मायाराम स्मृति वाटिका एवं विशंभर दत्त ध्यानी के फलदार सहित अन्य प्रजातियों के पेड़ों को नुकसान पहुंचा चुके है। हाथी टस्कर ने अमरूद, आम, पपीता, लीची, नींबू, केला, अखरोट सहित अन्य पेड़ों को नष्ट कर दिया है। हाथी टस्कर ख्याड़ा, बैडवाड़ी, बसुसेरा, ब्वाड़ाख्यात, कौलासैंण, तूणीचौड़, बिजरगड़ीरौला, बुडोलाखोला, कूंचपाणी में भी फसल को नुकसान पहुंचा रहा है। ग्रामीण बड़ी मुश्किल से हाथी को भगाते है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि हाथी सुरक्षा को बनाया गया है, लेकिन जहां से हाथियों को आवागमन होता है वहां सुरक्षा दीवार नहीं बनाई गई है। सुरक्षा दीवार व पेयजल स्रोत निर्माण के बारे में वन विभाग को कहा गया, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। विनीता ध्यानी ने मुख्य वन संरक्षक उत्तराखंड, वन एवं पर्यावरण मंत्री उत्तराखंड एवं स्थानीय विधायक लैंसडौन को पत्र लिखकर समस्या से निजात दिलाने की मांग की है।
गौरतलब है कि प्रखंड रिखणीखाल के ग्रामसभा कांडा का अन्तिम गजरोड़ा तोक है जो वन से लगा हुआ है और हाथी की गश्त लौहाचौड़ मैदावन ढकरबट्टा से यहां को होती है। जिस वजह से यहां की खेती व पेड़ पौधों को नुकसान के साथ-साथ लोगों को सुरक्षा का भी खतरा रहता है। वन विभाग जंगलों की लैंटाना की तो सफाई करवा रहा लेकिन बस्ती से लगे वन मार्गों को नहीं। जबकि कालीघास व लैंटाना पूरे जंगल से बस्ती गांवों तक फैला हुआ है।