केंद्र सरकार ने पूरी तैयारी के साथ कसा पीएफआई पर शिकंजा
नई दिल्ली, एजेंसी। केंद्र सरकार ने पापुलर फ्रंट आफ इंडिया एवं उससे संबद्घ कई अन्य संगठनों पर पांच साल का प्रतिबंध लगा दिया है। पीएफआई पर आतंकी गतिविधियों में लिप्त रहने और आईएसआई जैसे आतंकी संगठनों से श्संबंधश् होने जैसे गंभीर आरोपों के चलते सरकार ने उक्घ्त कदम उठाए हैं। ऐसा नहीं है कि सरकार ने अचानक यह फैसला लिया है। केंद्रीय जांच एजेंसियां पीएफआइ की कथित देश विरोधी गतिविधियों को लेकर सरकार को बार-बार आगाह कर रही थीं। दरअसल, केंद्र सरकार को बार बार इस बात का खुफघ्यिा इनपुट मिल रहा था कि पीएफआइ के कुछ सदस्घ्य गंभीर देश विरोधी गतिविधियों में शामिल हैं। इसके बाद सरकार ने च्थ्प् पर शिकंजा कसने के मसले पर मंथन किया। आखिरकार 22 सितंबर को केंद्रीय जांच एजेंसियों ने 15 राज्यों में एकसाथ पीएफआइ के खिलाफ छापेमारी अभियान चलाया। सूत्रों का कहना है कि इस आपरेशन में केंद्रीय एजेंसियों को पीएफआइ के खिलाफ ठोस सुबूत हाथ लगे थे। केंद्रीय एजेंसियों की शुरुआत जांच रिपोर्ट के बाद पीएफआइ के खिलाफ ठोस कार्रवाई का दबाव बढ़ने लगा था।
सूत्र बताते हैं कि केंद्रीय एजेंसियों की ओर से चलाए गए देशव्घ्यापी अपरेशन की निगरानी एनआइए, ईडी और आइबी के निदेशकों ने खुद की। सभी उच्घ्चाधिकारी कंट्रोल रूप में बैठकर खुद आपरेशन की निगरानी करते रहे। इतना ही नहीं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस मसले पर उच्च स्तरीय बैठक करके पूरे आपरेशन की समीक्षा की। बताया जाता है कि पूरी कार्रवाई में एनआइए के 300 अधिकारी शामिल थे। इस अपरेशन को एनआइए की अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई माना जा रहा है।
सूत्रों का कहना है कि इस अपरेशन के दौरान छप्। के कंट्रोल रूम से महानिदेशक दिनकर गुप्ता जबकि ईडी के कंट्रोल रूम से निदेशक संजय मिश्र और आइबी के कंट्रोल रूम से निदेशक तपन डेका पल-पल की जानकारी लेते रहे। बाद में राष्घ्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल आइबी के कंट्रोल रूम से इस अपरेशन की मनीटरिंग में जुड़ गए। केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला भी कार्रवाई पर नजर बनाए हुए थे। एजेंसियों को पूरे अपरेशन के दौरान च्थ्प् के खिलाफ हैरान करने वाले साक्ष्घ्य मिले। इन्घ्हीं साक्ष्घ्यों ने ताबूत में कील का काम किया।
आतंकवाद और आतंकवादी गतिविधियों के खिलाफ भारत का मुख्य कानून यूएपीए केंद्र सरकार को गैरकानूनी संघ या श्आतंकी संगठनश् घोषित करने की अनुमति देता है। इसे बोलचाल की भाषा में संगठनों पर श्प्रतिबंधश् के रूप में वर्णित किया जाता है। किसी संगठन को आतंकी संगठन घोषित करने का मतलब है कि इसके सदस्यों को अपराधी ठहराया जा सकता है। यही नहीं संगठन की अवैध संपत्तियों को जब्त किया जा सकता है।
सरकार की ओर से की गई मौजूदा कार्रवाई वैश्विक एक्घ्शन के अनुरूप है। वर्ष 1997 के बाद से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के कई प्रस्तावों में आतंकवादियों और आतंकवादी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई के तहत उनकी संपत्तियों एवं अन्य आर्थिक संसाधनों को फ्रीज करने का प्राविधान है। यही नहीं कार्रवाई के तहत आतंकियों के प्रवेश या उनकी यात्रा पर रोक लगाई जा सकती है।
यूएपीए की धारा-35 के तहत केंद्र सरकार उस संगठन पर प्रतिबंध लगा सकती है जो आतंकवाद में शामिल है। आतंकी घटनाओं में लिप्घ्त समूह को आतंकी संगठन माना जाता है। आतंकी घटनाओं में आतंकवाद को बढ़ावा देना और लोगों को आतंकवाद के लिए तैयार करना शामिल है। आतंकी संगठन घोषित किए जाने के बाद समूह की फंडिंग पर रोक लग जाती है। यूएपीए की धारा-38 के तहत आतंकी गतिविधियों में लिप्घ्त व्घ्यक्ति को दस साल तक की कैद हो सकती है।