कोटद्वार-पौड़ी

कृषि विकास के लिए राज्यों में खुले उत्कृष्ट केंद्र: नीति आयोग

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विश्वविद्यालओं में कृषि प्रसंस्करण और उच्च मूल्य कृषि उत्पाद विभाग खोलने की अवशयकता: राजीव कुमार
जयन्त प्रतिनिधि।
पौड़ी।
शुक्रवार को नीति आयोग की ओर से भारतीय हिमालय केंद्रीय विश्वविद्यालय संघ तथा हेमवती नंदन गढ़वाल विश्वविद्यालय के सहयोग से भारतीय हिमालय क्षेत्र में कृषि पारिस्थितिकी एवं संबंधित बाजार विकास विषय में एक ऑनलाइन वेबीनार का आयोजन किया गया।
आजीविका के सतत उत्सर्जन एवं विकास हेतु भारतीय हिमालय क्षेत्रों में कृषि आधारित आला उत्पादों के विपणन के लिए रणनीतियों की पहचान एवं चयन करना इस वेबीनार का मुख्य उद्देश्य था। वेबीनार में अविनाश मिश्रा सलाहकार, राष्ट्रीय प्राकृतिक पर्यावरण तथा भारतीय हिमालय क्षेत्र, नीति आयोग ने भारतीय हिमालय केंद्र विश्वविद्यालय संघ के द्वारा किए जाने वाले अध्ययनों के महत्व पर प्रकाश डाला। वेबीनार का आधार व्याख्यान राजीव कुमार उपाध्यक्ष नीति आयोग ने दिया। उन्होंने भारतीय हिमालय क्षेत्र में सफलता की कहानियों पर ध्यान केंद्रित करने पर जोर दिया, जिसमें स्थानीय लोगों को अपनी आए और कृषि उत्पादकता बढ़ाने में सफलता मिली है। उन्होंने कृषि को मूल्यवर्धन की ओर ले जाने और जैविक खेती पर ध्यान केंद्रित करने को मुख्य उद्देश्य बताया। उन्होंने जड़ी-बूटियों की खेती को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहे सभी विश्वविद्यालयों और संस्थानों से आयुष विभाग के साथ सहयोग करने को कहा। जिसके द्वारा अधिक से अधिक व्यक्तियों को लाभ मिल सके। उन्होंने सभी शिक्षाविदों और अनुसंधान संस्थानों से भारतीय हिमालय क्षेत्र में प्राकृतिक झरनों के जीर्णोद्धार पर काम करने को कहा। उन्होंने विश्वविद्यालय से कृषि प्रसंस्करण और उच्च मूल्य कृषि उत्पाद विभाग स्थापित करने के लिए भी प्रस्ताव रखा। उन्होंने अपने उद्बोधन के अंत में सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद दिया और वेबीनार की सफलता की कामना की।
प्रोफेसर अन्नपूर्णा नौटियाल समन्वयक, भारतीय हिमालय केंद्रीय विश्वविद्यालय संघ तथा कुलपति हेमवती नंदन गढ़वाल विश्वविद्यालय ने वेबीनार की प्रस्तावना प्रस्तुत करते हुए भारतीय हिमालय क्षेत्रों में कृषि के महत्व पर बल दिया। उन्होंने कृषि के निरंतर ह्रास तथा उसके फल स्वरुप होने वाले पलायन पर चिंता जाहिर की, कृषि की प्रमुख समस्याएं जैसे प्राकृतिक जल स्रोतों का लुप्त होना, कृषि विपणन ढांचे का अविकसित होना, जंगली जानवरों तथा अन्य समस्याओं के कारण कृषि से ग्रामीण विमुख होते जा रहे हैं, जिसका परिणाम यह है कि कृषि भूमि क्षरण तथा उसका मरुस्थलीकरण बढ़ता जा रहा है। उन्होंने बताया कि इन समस्याओं का हल कृषि का विकास ही है जो कि तभी संभव है जब कृषि आय अर्जित करने का एक प्रमुख क्षेत्र बन कर उभरे।
अमिताभ कांत मुख्य कार्यकारी अधिकारी, नीति आयोग द्वारा बाजारों के साथ संबंध एवं कृषि विकास विषय पर प्रस्तुति दी गई। उन्होंने भारतीय हिमालय क्षेत्र में औषधीय और सुगंधित पौधों, जड़ी बूटियों, मसालों की खेती के महत्व के बारे में चर्चा की और कृषि विपणन के विकास के लिए प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण, मूल्य श्रृंखला विकसित करने भंडारण और परिवहन सुविधा और प्रौद्योगिकी के सुधार पर ध्यान केंद्रित किए जाने पर बल दिया। उसके उपरांत नीलम पटेल वरिष्ठ सलाहकार कृषि, नीति आयोग द्वारा भारतीय हिमालय क्षेत्रों में कृषि पारिस्थितिकी विषय पर प्रस्तुतीकरण दिया गया। 
वेबीनार के तकनीकी सत्र की प्रस्तावना सलोनी गोयल विशेषज्ञ मौसम बदलाव, भारतीय हिमालय क्षेत्र, नीति आयोग, संजय कुमार, निर्देशक सीएसआइआर- आईएचबीटी पालमपुर द्वारा केसर एवं परंपरागत मसालों के हिमालय क्षेत्रों में उच्च आय एवं आजीविका सज्जन करने, प्रोफेसर शांति स्वरूप शर्मा ने केसर की खेती के द्वारा आजीविका श्रजन विषय पर व्याख्यान दिया। डॉ. तेजपाल द्वारा कीवी की हिमालय क्षेत्रों में खेती के महत्व पर प्रस्तुतीकरण दिया। तदुपरांत डॉक्टर सीवी सिंह अपेड़ा भारत सरकार द्वारा कृषि विपणन एवं कृषि विपणन रणनीति पर अपना प्रस्तुतीकरण दिया।

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