देश-विदेश

पाकिस्तान को किनारे लगाने का एक और तरीका है चाबहार, रूस तक सीधे पहुंचेगा भारत

Spread the love
Backup_of_Backup_of_add

नई दिल्ली। भारत ने ईरान के साथ चाबहार बंदरगाह के संचालन का करार किया है। अब अगले 10 सालों तक इस पोर्ट को भारत ही संभालेगा और इससे सेंट्रल एशिया, रूस तक भारत की सीधी पहुंच होगी। ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में बना यह बंदरगाह भारत के सबसे करीब है, जिसकी गुजरात के कांडला पोर्ट से दूरी 550 नॉटिकल मील है। इसके अलावा मुंबई से यह दूरी 786 नॉटिकल मील है। भारत को इस बंदरगाह के जरिए बड़े जहाजों को भेजने में मदद मिलेगी, जिसकी बहुत ज्यादा जरूरत थी। इसकी वजह यह थी कि भारत को ईरान, अफगानिस्तान और रूस जैसे देशों तक पहुंचने के लिए पाकिस्तान से होकर गुजरना पड़ता था। इसकी महत्ता ऐसे समझी जा सकती है कि अमेरिका की पाबंदियों की धमकी के बाद भी भारत इस करार से पीछे नहीं हटा है।अब इस बंदरगाह के बनने से भारत को पाकिस्तान को किनारे लगाने का मौका मिलेगा। भारत की पहुंच अब सीधे अफगानिस्तान होगी। वह ईरान तक जा सकेगा और वहां से होते हुए सेंट्रल एशिया एवं रूस तक भारत का पहुंचना आसान होगा। ईरान ने इस बंदरगाह की शुरुआत 1973 में की थी। इसके 30 साल बाद 2003 में भारत ने चाबहार बंदरगार को विकसित करने की इच्छा जताई थी। भारत का कहना था कि इससे अफगानिस्तान और सेंट्रल एशिया से जुड़ने में मदद मिलेगी। इसके बाद 2008 में भारत और ईरान के बीच इसे लेकर करार हुआ था।
हालांकि ईरान पर लगी पाबंदियों के चलते इसमें देरी हुई और अब जाकर दोनों देशों के बीच करार हो सका है। इसके तहत बंदरगाह का मैनेजमेंट अगले 10 सालों तक भारत के पास रहेगा। पीएम नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद भारत ने चाबहार की ओर कदम तेजी से बढ़ाए थे। 2016 में पीएम मोदी ईरान गए थे। इस दौरान अफगानिस्तान, भारत और ईरान के बीच चाबहार को लेकर करार हुआ था। इसके बाद 2018 में जब हसन रूहानी दिल्ली आए तो इस परियोजना में भारत की भूमिका बढ़ाने पर बात हुई थी। फिर इसी साल जनवरी में जब एस. जयशंकर ने ईरान पहुंचे तो इस पर मुहर लग गई।
पाबंदियां लगा देंगे; भारत-ईरान के बीच चाबहार समझौते से भड़का अमेरिका
भारत ने इस पोर्ट से अपने जहाजों का संचालन 2018 से ही शुरू कर दिया था। अब पोर्ट का मैनेजमेंट भी उसके ही हाथ होगा। इस बंदरगाह के जरिए भारत को रूस के अलावा उज्बेकिस्तान, कजाखस्तान जैसे देशों से जुड़ने में मदद मिलेगी। ऐसे भारतीय निवेशक जो सेंट्रल एशिया में रुचि रखते हैं, उनके लिए भी यहां से कारोबार करना आसान होगा। बता दें कि इस पोर्ट से उज्बेकिस्तान जुड़ने की तैयारी कर रहा है। इस तरह पोर्ट से होते हुए भारत को सीधे सेंट्रल एशिया तक पहुंचने में मदद मिलेगी। आर्मेनिया भी इस पोर्ट से जुड़ने की इच्छा जता चुका है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!