मांगों को लेकर पानी की टंकी पर चढ़ गए सर्वजन दिव्यांग कल्याण समिति के अध्यक्ष
नैनीताल। अपनी मांगों को लेकर सर्वजन दिव्यांग कल्याण समिति के अध्यक्ष तिरंगा लेकर क्षेत्रीय विधायक आवास स्थित पानी की टंकी पर चढ़ गए। इस दौरान क्षेत्र में हड़कंप मच गया। मौके पर पहुंचे उपजिलाधिकारी और पुलिस क्षेत्राधिकारी ने सूझबूझ का परिचय देते हुए करीब तीन घंटे बाद दिव्यांग को पानी टंकी से नीचे उतारा। इसके बाद पुलिस प्रशासन और लोगों ने राहत की सांस ली। जानकारी के अनुसार शनिवार सुबह करीब साढ़े 9 बजे अपनी 14 सूत्रीय मांगों को लेकर सर्वजन दिव्यांग कल्याण समिति के अध्यक्ष शंकरलाल क्षेत्रीय विधायक नवीन दुम्का के आवास के सामने स्थित ओवरहेड टैंक पर चढ़ गए। हाथ में तिरंगा लेकर उन्होंने अपनी मांगों को ऊपर से ही पढ़ना शुरू कर दिया। इस बीच टंकी के नीचे भारी भीड़ लग गई। सूचना पर कोतवाली पुलिस, गुप्तचर विभाग के कर्मचारी मौके पर पहुंचे। विधायक नवीन दुम्का ने भी इंदर बिष्ट व ललित आर्या को प्रतिनिधि बनाकर वार्ता को भेजा। लेकिन शंकर लाल ने विधायक की बातों पर भरोसा नहीं रहने की बात कह कर उन्हें लौटा दिया। इधर विधायक दुम्का का कहना है कि उन्होंने शंकरलाल को कार्यालय खोलने के लिए 2 लाख विधायक निधि से और शौचालय के लिए 25 हजार दिए हैं। शंकर लाल ने जो 14 सूत्रीय मांग पत्र दिया है, उनमें एक भी मांग उनके स्तर की नहीं है। सभी मांगे शासन स्तर की हैं। तीन घंटे तक चला हाईप्रोफाइल ड्रामा: करीब तीन घंटे तक चले हाईप्रोफाइल ड्रामे के बाद मौके पर पहुंचे उप जिलाधिकारी मनीष कुमार सिंह, पुलिस क्षेत्राधिकारी सर्वेश पवार और कोतवाल संजय कुमार ने शंकरलाल को वार्ता के लिए आमंत्रित किया। लेकिन वह टंकी से नीचे नहीं उतरे, इस पर उपजिलाधिकारी ने कहा, वह वार्ता के लिए टंकी पर ही आ जाते हैं। इसके बाद उपजिलाधिकारी भी टंकी पर चढ़ गए, और शंकरलाल से वार्ता की। इस बीच मौका पाकर पुलिस क्षेत्राधिकारी और कोतवाल भी टंकी पर चढ़ गए। उन्होंने शंकरलाल को दबोच लिया। इसके बाद उन्हें नीचे उतारा गया। लिखित आश्वासन पर एक घंटे बाद छोड़ा: सीओ सर्वेश पवार का कहना है कि शंकरलाल ने लिखित रूप से आश्वासन दिया है कि वह भविष्य में इस प्रकार की वारदात को अंजाम नहीं देंगे। लिखित आश्वासन के बाद करीब उन्हें एक घंटे बाद छोड़ दिया गया। उप जिलाधिकारी मनीष कुमार सिंह ने कहा कि शंकरलाल की ओर से दिए ज्ञापन को शासन स्तर पर प्रेषित किया जा रहा है।
यह थी मांगें: मांग पत्र में दिव्यांगों को 4त्न आरक्षण, स्थानीय उद्योगों एवं बैंकों में दिव्यांगों को रोजगार,10 लाख रुपए तक ब्याज मुक्त ऋण देने, राज्य की सरकारी सस्ते गल्ले की दुकानों का आवंटन प्राथमिकता के आधार पर विकलांगों को करने, क्षेत्र के निजी व सरकारी स्कूलों में दिव्यांगों के बच्चों को निशुल्क शिक्षा देने समेत 14 सूत्रीय मांगों को पूरा करने के बाद ही टंकी से उतरने की बात कही।