कोविड की आशंका पर अग्रिम जमानत के फैसले को चुनौती
नई दिल्ली ,एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट, उत्तर प्रदेश सरकार की उस याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार हो गया है जिसमें कोविड-19 के संक्रमण होने की आशंका के आधार पर इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा ठगी के एक आरोपी को अग्रिम जमानत देने के फैसले को चुनौती दी गई है।
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से सलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मंगलवार को जस्टिस विनीत शरण और जस्टिस बीआर गवई की अवकाशकालीन पीठ के समक्ष इस मामले का उल्लेख करते हुए याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग की। मेहता ने कहा कि सिर्फ कोविड-19 के आधार पर हाईकोर्ट ने आरोपी को जनवरी 2022 तक के लिए अग्रिम जमानत दे दी है। मेहता ने कहा कि आरोपी पर 100 से अधिक धोखाधड़ी के मुकदमे हैं। जिसके बाद पीठ ने मेहता के आग्रह को स्वीकार करते हुए कहा कि अगले हफ्ते याचिका पर सुनवाई होगी।
गत 10 मई को हाईकोर्ट द्वारा दिए गए उस आदेश में आरोपी को तीन जनवरी 2022 तक गिरफ्तार न करने के लिए कहा गया था। हाईकोर्ट ने आरोपी को इस शर्त के साथ अग्रिम जमानत दी थी कि वह साक्ष्यों को नुकसान नहीं पहुंचाएगा और बिना ट्रायल कोर्ट की अनुमति के देश से बाहर नहीं जाएगा। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट द्वारा कोविड-19 के मद्देनजर जेल में कैदियों की भीड़ को कम करने को लेकर दिए गए निर्देशों का हवाला भी दिया।
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा श्एक ओर जहां सुप्रीम कोर्ट जेल में भीड़ को कम करना चाहता है ऐसे में अगर हम जेल में भीड़ बढाएंगे तो यह उचित नहीं होगा।श् उच्च न्यायालय ने यह भी कहा था कि राज्य सरकार की तरफ से ऐसा भरोसा नहीं दिया गया कि जेल में बंद कैदी और आने वाले कैदियों को कोविड-19 के संक्रमण से संरक्षण प्रदान किया जाएगा।
इलाहाबाद उच्च न्यायालयने अपने फैसले में कहा था कि श्असाधारण समय में असाधारण उपाय की आवश्यकता होती है और हताश समय में उपचारात्मक उपाय की आवश्यकता होती है। इसलिए गिरफ्तारी से पहले और बाद में आरोपी का कोरोना से संक्रमित होने की आशंका और उसके द्वारा इस संक्रमण को पुलिस, अदालत और जेल कर्मियों में फैलाने के अंदेशे या कर्मियों के द्वारा आरोपी में संक्रमण होने की आशंका को अग्रिम जमानत देने का वैध आधार माना जा सकता है।श् अब सर्वोच्च न्यायालय अगले सप्ताह इस मामले में सुनवाई करेगा।