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चंद्रयान 3 ने आठ महीने पहले रचा था इतिहास, अब चांद को लेकर आई एक और खुशखबरी

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नई दिल्ली । चंद्रयान-3 मिशन को ऐतिहासिक सफलता मिले आठ महीने हो चुके हैं। चंद्रयान-3 ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करके दुनियाभर में इतिहास रच दिया था। अब चंद्रयान-2 को लेकर बड़ी खुशखबरी सामने आई है। दरअसल, इसरो के चंद्रयान-2 मिशन ने चांद को समझने के लिए एक और अभूतपूर्व खोज की। एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट ‘ के अनुसार, चंद्रयान-2 मिशन के हालिया निष्कर्षों से चंद्रमा के ध्रुवीय क्रेटरों के भीतर पर्याप्त जल भंडार की उपस्थिति का पता चला है। इस खोज को बड़ी सफलता के तौर पर देखा जा रहा है। इससे दुनियाभर के वैज्ञानिकों को चंद्रमा को और बेहतर तरीके से समझने में मदद मिलेगी। इसरो के अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (एसएसी) और आईआईटी कानपुर, दक्षिणी कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, जेट प्रोपल्शन प्रयोगशाला और आईआईटी (आईएसएम) धनबाद जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के बीच हुए प्रयास से यह महत्वपूर्ण खोज हुई है।इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर फोटोग्रैमेट्री एंड मथैथ सेंसिंग जर्नल में प्रकाशित स्टडी से पता चलता है कि चंद्र ध्रुवीय क्रेटर में सबसर्फ बर्फ के सरफेस बर्फ की तुलना में 5 से 8 गुना अधिक मात्रा में होने का अनुमान है। इस खोज के निहितार्थ दूरगामी हैं। इन जल भंडारों तक पहुंच भविष्य के चंद्र मिशनों का समर्थन करना एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
इस स्टडी से यह भी पता चलता है कि चंद्रमा के उत्तरी ध्रुवीय क्षेत्र में दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र की तुलना में पानी की बर्फ की मात्रा दोगुनी है। यह अंतर्दृष्टि मिशन योजना और भविष्य के चंद्रमा अभियानों के लिए साइट चयन के लिए काफी अहम है। सबसरफेस वॉटर आइस की उत्पत्ति इम्ब्रियन काल से होती है, जोकि लगभग 3।8 से 3।2 अरब वर्ष पहले था। माना जाता है कि इस जल बर्फ का प्राथमिक स्रोत ज्वालामुखी के इस काल के दौरान निकलने वाली गैस है।

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