छात्रवृत्ति घोटाले की पूरी जांच एसआईटी को सौंपी
नैनीताल। हाईकोर्ट ने सोमवार को प्रदेश के 500 करोड़ रुपये से अधिक के छात्रवृत्ति घोटाले के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने सुभाष नौटियाल की ओर से दायर जनहित याचिका में लगाए गए आरोपों से संबंधित घोटाले की जांच डायरेक्टर विजिलेंस से हटाकर एसआईटी को देने को कहा है। विजिलेंस को आदेश दिए हैं कि वह समस्त दस्तावेजों को एसआईटी को सौंपे। खंडपीठ के उक्त आदेश के बाद अब छात्रवृत्ति घोटाले से जुड़ी सभी याचिकाओं की जांच एसआईटी के पास आ गई है। मामले की सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि कुमार मलिमथ एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ में हुई। बता दें कि मामले में पूर्व में रवींद्र जुगरान व एसके सिंह की ओर से भी याचिकाएं दायर की गई हैं। इनकी जांच पूर्व से ही हाईकोर्ट आदेशों के क्रम में एसआईटी कर रही है। वहीं सुभाष नौटियाल की याचिका पर सुनवाई के दौरान सोमवार को सरकार की तरफ से नियुक्त विशेष अधिवक्ता पुष्पा जोशी व ललित सामन्त ने सरकार का पक्ष रखा। कहा कि छात्रवृत्ति घोटाले से जुड़ी विभिन्न याचिकाओं में लगाए गए आरोपों के क्रम में एसआईटी ने 77 प्रतिशत जांच पूरी कर ली है, शेष 23 प्रतिशत जांच और की जानी है। अधिवक्ताओं की ओर से अवशेष जांच पूरी करने के लिए छह माह का समय देने की मांग की गई, लेकिन कोर्ट ने इस पर सुनवाई के लिए अगले सोमवार की तिथि नियत की है।
500 करोड़ रुपये से अधिक का है घोटाला
मामले के अनुसार देहरादून निवासी रविन्द्र जुगरान, एसके सिंह व सुभाष नौटियाल की ओर से हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। इसमें कहा है कि प्रदेश में अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्रों की छात्रवृत्ति में वर्ष 2005 से घोटाला किया जा रहा है। यह घोटाला 500 सौ करोड़ रुपये से अधिक का है, इसलिए इस मामले की जांच सीबीआई से कराई जाए। छात्रवृति का पैसा छात्रो को न देकर स्कूलों को दिया गया या फिर उन लोगों को दिया गया है, जो उस स्कूल के छात्र थे ही नहीं।