कोटद्वार-पौड़ी

बच्चों को परीक्षा पूर्व मनोवैज्ञानिक परामर्श जरूरी: डॉ. धन सिंह

Spread the love
Backup_of_Backup_of_add

उत्तराखंड बाल संरक्षण आयोग ने किया परीक्षा पर्व कार्यक्रम का आयोजन
जयन्त प्रतिनिधि।
देहरादून: शिक्षा मंत्री डॉ.धन सिंह रावत ने कहा कि किसी भी परीक्षा से पूर्व बच्चों को मनोवैज्ञानिक परामर्श दिया जाना अत्यंत आवश्यक है। इसके लिए अभिभावकों को भी जागरूक करना होगा। बच्चों को समझाना होगा कि परीक्षा एक उत्सव है, लिहाजा किसी भी परीक्षा को एक पर्व की तरह लिया जाना चाहिए। इसके अलावा सेमेस्टर अथवा वार्षिक परीक्षाओं से पूर्व प्रत्येक माह मासिक परीक्षाओं का आयोजन कर बच्चों को मुख्य परीक्षाओं के लिए तैयार किया जाय। कहा कि प्रत्येक विद्यालय में पीटीए के गठन को भी अनिवार्य रूप से लागू किया जाना चाहिए।
उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की ओर से दून विश्व विद्यालय सभाागर में आयोजित परीक्षा पर्व-4 कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शिक्षा मंत्री ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘परीक्षा पर चर्चा’ कार्यक्रम से देशभर के लाखों बच्चों का मनोबल बढ़ा है। इसी प्रकार प्रदेश में भी परीक्षा से पूर्व तनाव को दूर करने के लिए बच्चों को मनोवैज्ञानिक परामर्श दिया जाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि इसके लिए अध्यापकों एवं अभिभावकों को अपने-अपने स्तर से प्रयास करने चाहिए, ताकि बच्चें परीक्षा को एक उत्सव समझकर प्रतिभाग कर सके। इसके अलावा सेमेस्टर अथवा वार्षिक परीक्षाओं से पूर्व प्रत्येक माह मासिक परीक्षाओं का आयोजन कर बच्चों को मुख्य परीक्षाओं के लिए तैयार किया जायेगा। डॉ. रावत ने बाल अधिकार संरक्षण आयोग में शिकायतों के बढ़ते प्रकरणों के बोझ को कम करने के लिए एक समन्वय समिति के गठन किये जाने पर बल दिया। यही नहीं उन्होंने कहा कि ब्लॉक स्तर पर भी बच्चों को मनोवैज्ञानिक परामर्श दिये जाने की व्यवस्था होनी चाहिए, जिसमें आयोग के सदस्य अहम भूमिका निभा सकते हैं। शिक्षा मंत्री ने कहा कि भविष्य में विद्यालयी शिक्षा के पाठ्यक्रम में वेद, उपनिषद व गीता को शामिल करने का प्रयास किया जायेगा, जिसके लिए आम लोगों से सुझाव आमंत्रित किये जायेंगे। उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्षा गीता खन्ना ने कहा कि बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जायेगा। आयोग द्वारा प्रत्येक विद्यालयों में पीटीए का गठन अनिवार्य कर दिया गया है। ताकि स्कूल प्रबंधन, अभिभावकों, शिक्षकों व बच्चों से संबंधी शिकायतों का समाधान पीटीए के माध्यम से किया जा सकेगा। इसके लिए आयोग द्वारा एक आउट फ्रेम तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि बाल अधिकारों के संरक्षण हेतु समाज के साथ-साथ शिक्षा, स्वास्थ्य व पुलिस विभाग का सहयोग अत्यंत आवश्यक है। कार्यक्रम को विशेष अतिथि प्रो. सुरेखा डंगवाल, सीबीएससी के क्षेत्रीय निदेशक जयप्रकाश चतुर्वेदी, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य सचिव रूपाली बनर्जी आदि ने भी सम्बोधित किया। इस मौके पर उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के प्रो. ओपीएस नेगी, सदस्य सचिव राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग रूपाली बनर्जी, छत्तीसगढ़ बाल संरक्षण आयोग की सदस्य पुष्पा पाटले, सदस्य उत्तराखंड बाल संरक्षण आयोग विनोद कपरवाण, क्षेत्रीय निदेशक सीबीएससी जयप्रकाश चतुर्वेदी, पं. रमेश शास्त्री, मुख्य शिक्षा अधिकारी देहरादून डॉ. मुकुल सती सहित शिक्षा विभाग के अधिकारी, विभिन्न स्कूलों के प्रधानाचार्य, अध्यापक एवं छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!