भारत और चीन के रिश्तों पर जमी बर्फ के पिघलने की उम्मीद, इस महीने भारत आ सकते हैं चीन के विदेश मंत्री
नई दिल्ली, एजेंसी। भारत और चीन के बीच पिछले दो वर्षों से पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर बनी तनाव की स्थिति में कुछ सकारात्मक बदलाव आने के संकेत हैं। चीन के विदेश मंत्री और स्टेट काउंसलर वांग यी इस महीने के अंत में भारत आ सकते हैं, हालांकि दोनों देशों की तरफ से आधिकारिक तौर पर अभी इसकी पुष्टि नहीं की गई है लेकिन वांग की यात्रा को लेकर नई दिल्ली में चीनी दूतावास के अधिकारियों के साथ विदेश मंत्रालय के अधिकारियों की बातचीत होने की खबर है।
अगर वांग आते हैं तो जून 2020 में पूर्वी लद्दाख में गलवन घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद उनकी पहली भारत यात्रा होगी। दैनिक जागरण ने विदेश मंत्रालय के साथ ही चीनी दूतावास से आधिकारिक प्रतिक्रिया लेनी चाही तो दोनों पक्षों की तरफ से कहा गया है कि उचित समय पर इसकी घोषणा की जाएगी।
यात्रा की तिथि को लेकर अभी अंतिम फैसला नहीं हुआ है लेकिन माना जा रहा है कि यह वांग की नेपाल यात्रा के दौरान हो सकती है। चीनी विदेश मंत्री 26 मार्च को दो दिन की यात्रा पर काठमांडू पहुंच रहे हैं। संभावना जताई जा रही है कि नेपाल के बाद वह भारत आएं। इस साल की शुरुआत में वो मालदीव और श्रीलंका की यात्रा पर गए थे। इस बार उनके नेपाल के साथ ही बांग्लादेश, पाकिस्तान व भूटान जाने की भी संभावना है।
बता दें कि वांग यी बतौर विदेश मंत्री और स्टेट काउंसलर पांच बार भारत की यात्रा पर आ चुके हैं। संभवतरू वो सबसे ज्यादा बार भारत के दौरे पर आने वाले चीनी विदेश मंत्री हैं। अंतिम बार वे दिसंबर 2019 में आए थे। तब वांग यी और भारत के एनएसए अजीत डोभाल की अध्यक्षता में भारत-चीन सीमा विवाद को सुलझाने के लिए विशेष प्रतिनिधियों की वार्ता हुई थी। इस व्यवस्था के तहत बातचीत वर्ष 2003 से ही हो रही है और अभी तक 22 दौर की वार्ता हो चुकी है लेकिन इससे सीमा विवाद को सुलझाने में कोई खास प्रगति नहीं हुई है।
वांग यी की विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ रूस में सितंबर, 2020 में द्विपक्षीय मुलाकात हुई है जिससे गलवन घाटी में सैन्य तनाव को खत्म करने में मदद भी मिली थी। उसके बाद दोनों विदेश मंत्रियों के बीच टेलीफोन पर वार्ताएं हुई हैं।