बीमार पड़ा जन औषधि केंद्र, बाजार से महंगी दवा खरीदना मजबूरी
राजकीय बेस चिकित्सालय में पिछले कई माह से बंद पड़ा है जन औषधी केंद्र
आमजन की शिकायत के बाद भी स्वास्थ्य विभाग नहीं दिखा रहा गंभीरता
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार: भले ही केंद्र सरकार गरीब को सस्ती दवाएं उपलब्ध करवाने के दावे कर रही हो। लेकिन, राजकीय बेस चिकित्सालय कोटद्वार में सरकार की यह योजनाएं दम तोड़ रही है। हालत यह है कि बेस चिकित्सालय में सस्ती दवा उपलब्ध करवाने के लिए बनाया गया जन औषधि केंद्र में पिछले कई माह से ताले तटके हुए हैं। लोगों की शिकायत के बाद भी स्वास्थ्य विभाग समस्या को लेकर गंभीरता नहीं दिखा रहा। नतीजा लोगों को बाजार से महंगी दवाएं खरीदनी पड़ रही हैं।
कोटद्वार बेस चिकित्सालय में जिला रेडक्रास सोसायटी की ओर से वर्ष 2017 में जन औषधि केंद्र खोला गया था। उम्मीद थी कि अस्पताल में जन औषधि केंद्र खुलने के बाद मरीजों को बाजार से महंगी दवाएं नहीं खरीदनी पड़ेगी। लेकिन, चिकित्सक व एमआर (दवा कंपनी के प्रतिनिधि) की कथित यारी इस योजना पर भारी पड़ गई। चिकित्सक मरीजों के पर्चे पर धड़ल्ले से बाजार के मेडिकल स्टोरों में मिलने वाली लिखते थे। नतीजा, केंद्र में बैठे कर्मी केवल मरीजों का इंतजार ही करते रह जाते। यही कारण था कि कुछ माह बाद ही जन औषधि केंद्र बंद हो गया।
फाइलों में अटकी केंद्र की फाइल
कोटद्वार के राजकीय बेस चिकित्सालय में केंद्र सरकार की ओर से जन औषधी केंद्र खोला जाना प्रस्तावित है। करीब छह माह पूर्व केंद्र से जारी दिशा-निर्देशों के अनुरूप चिकित्सालय प्रशासन ने केंद्र संचालन को निविदाएं भी निकाल दी। पांच फर्मों ने केंद्र संचालन की इच्छा जताई। चिकित्सालय प्रशासन ने अंतिम निर्णय के लिए पांच फर्मों की निविदाएं केंद्र में भेज दी। केंद्र ने यह कह कर निविदाएं वापस लौटी दी कि इसमें अंतिम निर्णय चिकित्सालय प्रशासन को ही लेना है। केंद्र से जारी निर्देशों के बाद भी चिकित्सालय प्रशासन ने अंतिम निर्णय लेने के बजाए फाइल मुख्य चिकित्सा अधिकारी के कार्यालय में भेज दी। करीब ढाई माह हो चुके हैं। लेकिन, अभी तक मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय भी इस पर कोई निर्णय नहीं ले पाया है।
क्षेत्रवासी उठा चुके हैं मांग
बाजार से महंगी दवा खरीद रहे क्षेत्रवासी कई बार जन औषधि केंद्र को खोलने की मांग उठा चुके हैं। इस संबंध में क्षेत्रवासियों ने विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूडी भूषण को भी ज्ञापन दिया था। जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने तत्काल समस्या के निराकरण का आश्वासन दिया था। लेकिन, यह आश्वासन भी केवल हवा साबित हुआ।