सीयूईटी अनिवार्य करने से बढ़ी युवाओं की परेशानी
जयन्त प्रतिनिधि।
पौड़ी : गढ़वाल से संबद्ध महाविद्यालयों में स्नातक कक्षाओं में प्रवेश के लिए कामन यूनिवर्सिटी इंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) अनिवार्य किए जाने से ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं की परेशानी बढ़ गई हैं। सीयूईटी की बाध्यता के चलते युवाओं को प्रवेश से वंचित रहना पड़ रहा है।
राठ महाविद्यालय पैठाणी के प्राचार्य डा. जितेंद्र कुमार नेगी ने बताया की इस संबंध में उन्होंने विश्वविद्यालय की कुलपति, कुलसचिव व विश्वविद्यालय अनुदान आयोग नई दिल्ली को ज्ञापन भेजकर छात्रों को हो रही दिक्कतों से अवगत कराया है। कहा कि उनका महाविद्यालय ग्रामीण व भौगोलिक परिस्थितियों में होने के कारण वैसे ही तमाम तकनीकी दिक्कतों का सामना कर रहा है। कमजोर नेटवर्क, विद्युत आपूर्ति में अनियमितता, कई बार संबंधित वेबसाइट के न खुलने से दूरस्थ क्षेत्र के ग्रामीण युवाओं को खाली हाथ लौटना पड़ता है। बताया कि इस बार टेस्ट में बैठे कुछ छात्रों के परीक्षा केंद्र अपने राज्य से बाहर दूसरे राज्यों के शहरी क्षेत्रों में होने के कारण परीक्षा में बैठने से वंचित हो गए। अभिवाहकों का कहना था कि उनके पास इतना पैसा नहीं था की वे बच्चों के यात्रा और अन्य व्यय भार उठा सकें। कहा कि सीयूईटी के लिए महाविद्यालय स्तर पर पहले ही सघन जागरूकता अभियान छेड़ा था। समिति ने क्षेत्र के सभी इण्टर कालेजों में संपर्क कर इस टेस्ट में शामिल होने के लिए छात्र-छात्राओं को प्रोत्साहित किया था, लेकिन परिणाम इसके अपेक्षित नहीं रहे। महाविद्यालय में प्रवेश के लिए सैकड़ों छात्र-छात्राएं लगातार संपर्क कर रहें हैं, लेकिन सीयूईटी की बाध्यता के चलते उन्हें प्रवेश से वंचित रहना पड़ रहा है। कहा कि सीयूईटी कि बाध्यता के चलते प्रवेश देने के लिए मजबूर हैं।