उत्तराखंड

पेपर लीक मामले में कांग्रेस ने की एस राजू की गिरफ्तारी की मांग, पूर्व अध्यक्ष की गिरफ्तारी को बताया अधूरा न्याय

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देहरादून। उत्तराखंड एसटीएफ ने आज बड़ी कार्रवाई करते हुए यूकेएसएसएससी वीपीडीओ भर्ती परीक्षा में धांधली की जांच में आयोग के पूर्व चेयरमैन आरबीएस रावत, सचिव मनोहर कन्याल, परीक्षा नियंत्रक आरएस पोखरिया को गिरफ्तार किया है। ऐसे कांग्रेस पार्टी ने इसे अधूरा न्याय बताते हुए कुछ सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे अधिकारियों के नाम भी सामने आने चाहिए जिन्होंने एस राजू के कहने के बाद भी इस मामले में कार्यवाही नहीं की। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने एसटीएफ की इस कार्रवाई को बड़ा कदम बताते हुए इसे कांग्रेस की जीत बताया है। उन्होंने कहा कि उपनेता प्रतिपक्ष रहते हुए उन्होंने इस विषय को विधानसभा में उठाया था और तत्कालीन संसदीय कार्य मंत्री रहे प्रकाश पंत ने इस मामले में सरकार की ओर से बयान दिया था कि टेंपरिंग अफ कपी हुई है लेकिन दुर्भाग्य से संसदीय कार्य मंत्री रहे प्रकाश पंत का निधन हो जाता है और इस मामले में कार्रवाई रुक जाती है। उन्होंने कहा कि आज यूकेएसएसएससी के चेयरमैन रहे आरबीएस रावत की गिरफ्तारी हुई है जो कि बड़ा कदम है, अब देखना होगा कि सरकार इस में पैरवी सही तरीके से करती है या नहीं। क्योंकि, आज कमजोर पैरवी की वजह से 4 लोगों की जमानत भी हो गई है। उन्होंने कहा कि यदि आरबीएस रावत से सख्ती से पूछताछ की जाती है तो कई चीजें खुलकर सामने आ सकती हैं। आज हुई उनकी गिरफ्तारी को कांग्रेस की जीत के रूप में देखा जा सकता है। करन माहरा का कहना है कि लेकिन यह अभी आधा न्याय है, क्योंकि एस राजू की भी गिरफ्तारी होनी चाहिए। उन्होंने एक बयान दिया था कि जांच ना होने देने के लिए सफेदपोश नेता ने उन पर दबाव डाला, इसके अलावा उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि इसकी वह 4 बार रिपोर्ट कर चुके हैं, लेकिन कार्रवाई नहीं की जा रही है। करन माहरा ने सवाल उठाते हुए कहा कि ऐसे अधिकारियों के नाम भी सामने आने चाहिए जिन्होंने एस राजू के कहने के बाद भी इस मामले में कार्यवाही नहीं की। इसके अलावा यह भी जांच होनी चाहिए कि वह कौन सफेदपोश नेता था जो जांच नहीं होने देना चाहता था। कांग्रेस ने मांग उठाते हुए कहा कि एस राजू को गिरफ्तार करने के साथ ही उनसे कड़ाई से पूछताछ की जानी चाहिए। कांग्रेस का कहना है कि जब तक सफेदपोश नेता और ऐसे रसूखदार अधिकारी जिन्होंने हाकम सिंह जैसे लोगों को संरक्षण प्रदान किया। उन सबकी गिरफ्तारी जब तक नहीं होती तब तक यह जांच अधूरी मानी जाएगी।

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