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एलएसी पर चीन का दुस्साहस: कांग्रेस ने खोज ली भाजपा के राष्ट्रवाद की काट, सोनिया की इसी लाइन पर चलेगा ‘इंडिया’

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दिल्ली, एजेंसी। कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे अपने पत्र में भाजपा को घेरने के लिए विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ के लिए लाइन तय कर दी है। सोनिया ने अपने पत्र में जिन ‘नौ’ मुद्दों का जिक्र किया है, उनमें चीन द्वारा लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में की जा रही घुसपैठ भी शामिल है।
इससे पहले भी कांग्रेस द्वारा समय-समय पर चीनी घुसपैठ का मुद्दा उठाया जाता रहा है। खुद राहुल गांधी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल ‘एलएसी’ को लेकर कई बार केंद्र सरकार को घेर चुके हैं। अब सोनिया गांधी ने कहा है कि संसद के विशेष सत्र में किन मुद्दों पर चर्चा होगी, सरकार ने इस बाबत कोई जानकारी नहीं दी है। ऐसे में उन्होंने पीएम मोदी से आग्रह किया है कि ‘नौ’ विशेष मुद्दों पर चर्चा के लिए समय आवंटित किया जाए। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, सोनिया गांधी ने अपने पत्र के जरिए कांग्रेस ही नहीं, बल्कि ‘इंडिया’ के लिए ‘भाजपा’ के ‘राष्ट्रवाद’ की काट निकाल ली है। संभव है कि ‘इंडिया’ भी मोदी सरकार को घेरने के लिए सोनिया गांधी की ‘लाइन’ पर आगे बढ़ेगा।
बता दें कि केंद्र सरकार ने 18 से 22 सितंबर तक पांच दिवसीय विशेष संसद सत्र बुलाया है। सत्र में किन मुद्दों पर चर्चा होगी, इसका खुलासा अभी तक नहीं हुआ है। यह भी कहा जा रहा है कि संसद का विशेष सत्र, विपक्ष से बिना किसी पूर्व चर्चा के बुलाया गया है। हालांकि कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा है कि कांग्रेस पार्टी, संसद के विशेष सत्र का बहिष्कार नहीं करेगी। इसमें देश और जनता से जुड़े मुद्दे उठाए जाएंगे। सोनिया गांधी ने अपने पत्र में अदाणी मामले का भी जिक्र किया है। इसके लिए उन्होंने जेपीसी के गठन की मांग की है। अन्य मुद्दों में उन्होंने मौजूदा अर्थव्यवस्था की स्थिति, महंगाई, एमएसएमई, किसानों के एमएसपी की मांग, मणिपुर की स्थिति, राज्यों में सांप्रदायिक तनाव, लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में चीन की घुसपैठ, केंद्र एवं राज्यों के बीच संबंधों को नुकसान पहुंचाना और प्राकृतिक आपदा शामिल हैं।
चीन की घुसपैठ और अदाणी मामला, इन दोनों को लेकर कांग्रेस पार्टी, भाजपा पर लगातार हमलावर रही है। सोनिया गांधी, पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी सहित कांग्रेस के अनेक नेताओं ने इन दोनों मुद्दों को उठाया है। पिछले दिनों अरुणाचल प्रदेश में चीनी नामों की सूची को कांग्रेस नेताओं ने हाथों-हाथ लिया था। कांग्रेस इस मुद्दे को ‘ड्रैगन को क्लीन चिट’ पंच लाइन से लोगों के बीच ले गई थी। राहुल गांधी ने भी अपने ट्वीट में लिखा था कि 2000 वर्ग किलोमीटर जमीन चीन ने छीन ली, जगहों के नाम भी बदल रहे, प्रधानमंत्री चुप, कोई जवाब नहीं। कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा था, हमारे 50-60 हजार सैनिक लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल के ऊपर तैनात हैं। ये बुनियादी सवाल इसलिए उत्पन्न होता है, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2013 से लेकर अब तक 19 बार चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिल चुके हैं। पांच बार प्रधानमंत्री मोदी चीन गए हैं। भारत का कोई भी प्रधानमंत्री 1947 से लेकर 2023 तक इतनी बार चीन नहीं गया होगा।
कांग्रेस पार्टी के एक सीनियर नेता का कहना है, भाजपा चाहे विकास और राष्ट्रवाद का कितना भी राग अलाप ले, मगर 2024 में ‘इंडिया’ गठबंधन उसकी राह मुश्किल कर देगा। भाजपा ने 2019 का चुनाव राष्ट्रवाद के नाम पर ही जीता था। इस बार केवल कांग्रेस पार्टी ही नहीं, बल्कि अधिकांश विपक्षी दल भी उसके साथ चलने को तैयार हुए हैं। वे भी चीन के मुद्दे पर भाजपा को घेर रहे हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आक्रामकता के साथ ‘राफेल’ का मुद्दा उठाया था, लेकिन पार्टी उस पर अकेली पड़ गई थी। विपक्षी दलों का साथ कांग्रेस को नहीं मिल सका था। मौजूदा समय में बॉर्डर पर चीन के दुस्साहस से विपक्ष पूरी तरह अवगत है। यही वजह है कि कांग्रेस पार्टी, इस मुद्दे पर विपक्ष को साथ लेकर भाजपा को घेरने की रणनीति बना रही है।
कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे कह चुके हैं, अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है और रहेगा। गलवान के बाद, मोदी जी द्वारा चीन को क्लीन चिट देने का नतीजा, देश भुगत रहा है। पिछले दिनों राहुल गांधी ने लद्दाख की यात्रा के दौरान कहा था, पूरा लद्दाख जानता है कि चीन ने हमारी जमीन कब्जा ली है। हाल ही में चीन द्वारा अपने नए नक्शे में अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चीन को शामिल करने पर राहुल गांधी ने कहा, नक्शे का सवाल बहुत गंभीर है। चीन ने हमारी जमीन पर कब्जा कर लिया है, इस मामले पर प्रधानमंत्री को भी बोलना चाहिए।

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