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‘लोकतंत्र के मंदिर के कामकाज का राजनीतिकरण करने का प्रयास’, सोनिया को प्रह्लाद जोशी का जवाब

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नई दिल्ली, एजेंसी। केंद्रीय संसदीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने सोनिया गांधी के पत्र का जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि स्थापित प्रक्रियाओं और परंपराओं का पालन करने के बाद ही 18 सितंबर से संसद सत्र बुलाया गया। सत्र बुलाने के लिए राजनीतिक दलों ने कभी पहले से परामर्श नहीं किया। उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी की ओर से उठाए गए मुद्दों पर पहले ही चर्चा हो चुकी है। मानसून सत्र में अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के दौरान सरकार ने उन सभी मुद्दों पर जवाब दिया था।
सोनिया गांधी को लिखे पत्र में केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि आप संसद, हमारे लोकतंत्र के मंदिर के कामकाज का भी राजनीतिकरण करने और जहां कोई विवाद नहीं है वहां अनावश्यक विवाद उत्पन्न करने का प्रयास कर रही हैं। आपको पता है कि अनुच्छेद 85 के तहत संवैधानिक जनादेश का पालन हुए संसद सत्र नियमित रूप से आयोजित किए जाते हैं।
उन्होंने कहा कि पूर्ण रूप से स्थापित प्रक्रिया का पालन करते हुए ही संसदीय कार्य संबंधी मंत्रिमंडल समिति के अनुमोदन के बाद राष्ट्रपति महोदया ने 18 सितंबर से आरम्भ होने वाले संसद सत्र को बुलाया है। शायद आपका परंपराओं की ओर ध्यान नहीं है। संसद सत्र बुलाने से पहले न कभी राजनीतिक दलों से चर्चा की जाती है और न कभी मुद्दों पर चर्चा की जाती है। महामहिम राष्ट्रपति के सत्र बुलाने के बाद और सत्र आरम्भ होने के पहले सभी दलों के नेताओं की बैठक होती है, जिसमें संसद में उठने वाले मुद्दों और कामकाज पर चर्चा होती है।
उन्होंने कहा कि मैं यह भी बताना चाहूंगा कि हमारी सरकार किसी भी मुद्दे पर हमेशा चर्चा करने के लिए तैयार रहती है। वैसे तो आपने जिन मुद्दों का उल्लेख किया है, वह सभी मुद्दे अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान कुछ ही समय पूर्व मानसून सत्र के दौरान उठाए गए थे और सरकार द्वारा उन पर जवाब भी दिया गया था।
उन्होंने आगे कहा कि सत्र की कार्यसूची हमेशा की तरह स्थापित आचरण के अनुसार उचित समय पर जारी की जाएगी। मैं यह भी फिर से ध्यान दिलाना चाहता हूं कि हमारी संसदीय कार्यप्रणाली में चाहे सरकार किसी भी दल की रही हो, आज तक संसद बुलाने के समय कार्यसूची पहले से कभी भी परिचालित नहीं की गई।
उन्होंने कहा कि मुझे पूर्ण विश्वास है कि संसद की गरिमा बनी रहेगी और इस मंच का उपयोग राजनीतिक विवादों के लिए नहीं किया जाएगा। इसके अतिरिक्त मैं आगामी सत्र को सुचारू रूप से चलाने में आपके पूर्ण सहयोग की अपेक्षा करता हूं, जिसके परिणामस्वरूप राष्ट्रीय हित में सार्थक परिणाम सामने आ सके।
सोनिया के पत्र में क्या?
इससे पहले सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर आग्रह किया कि 18 सितंबर से शुरू होने वाले संसद के विशेष सत्र के दौरान देश की आर्थिक स्थिति, जातीय जनगणना, चीन के साथ सीमा पर गतिरोध और अदाणी समूह से जुड़े नए खुलासों की पृष्ठभूमि में संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) गठित करने की मांग समेत नौ मुद्दों पर उचित नियमों के तहत चर्चा कराई जाए।
उन्होंने पत्र में यह भी कहा कि मैं इस बात का उल्लेख करना चाहूंगी कि संसद का विशेष सत्र राजनीतिक दलों से विचार-विमर्श किए बिना बुला लिया गया। इस सत्र के एजेंडे के बारे में हमें जानकारी नहीं है। सोनिया ने अपने पत्र में उल्लेख भी किया है कि कांग्रेस निश्चित रूप से विशेष सत्र में भाग लेना चाहती है, क्योंकि इससे उसे लोगों से संबंधित और महत्व के मामलों को उठाने का मौका मिलेगा।

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