कोरोना के चलते टीबी की जांच नहीं करा रहे लोग

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देहरादून। कोरोना के चलते टीबी मरीजों को ट्रेस करने में दिक्कत आ रही है। दरअसल, एक तो लोग जांच कराने से डर रहे हैं। दूसरे कोरोना के चलते बड़ी संख्या में बाहर से आकर यहां रह रहे लोग भी टीबी की जांच नहीं करा रहे हैं। क्षय नियंत्रण विभाग इस बात की तस्दीक कर रहा है। डाक्टरों के अनुसार टीबी मरीजों के लिए कोरोना का संक्रमण खतरनाक साबित हो सकता है। दरअसल, छाती की टीबी से मरीज के फेफड़े पहले ही कमजोर रहते हैं। उनके शरीर की इम्युनिटी भी कम होती है। स्वास्थ्य विभाग के अध्ययन के मुताबिक कोरोना के कारण लोग अपना रोग बता नहीं पा रहे हैं। वह अस्पताल जाने में घबरा रहे हैं। अगर किसी को तुरंत एक दो दिन के भीतर बुखार आ रहा है तो उसे कोविड-19 हो सकता है, लेकिन 15-20 से अधिक दिन से लगातार खांसी है, शरीर का वजन घट रहा है तो वह टीबी की जांच जरूर कराएं।
छह महीने और अधिकतम डेढ़ साल दवाइयां डॉक्टर की सलाह पर लगातार खाएं
राज्य क्षय नियंत्रण अधिकारी डॉ. मयंक बडोला ने बताया कि जो लोग पहले से टीबी की दवाइयां खा रहे हैं। उन्हें यह भी फैसिलिटी दे दी गई है कि अगर वह बार-बार अस्पताल नहीं पहुंच पा रहे हैं तो स्वास्थ्य विभाग उन्हें घर पर ही एक-एक महीने की दवाई दे देगा। अगर किसी मरीज को कुछ नहीं समझ में आ रहा है तो वह 104 पर कॉल करे। वहां से संबंधित डीटीओ और डॉक्टर या अस्पताल आदि के बारे में पूरी जानकारी दे दी जाएगी। डॉ. बडोला के मुताबिक कम से कम छह महीने और अधिकतम डेढ़ साल दवाइयां डॉक्टर की सलाह पर लगातार खाएं। बीच में छोड़ने पर टीबी बिगड़ सकती है। यह मरीज के लिए घातक साबित हो सकता है। टीबी भी सांस के द्वारा एक-दूसरे को फैलती है। इसलिए मास्क लगाना इसमें भी लाभदायक है। घर या दफ्तर में वेंटिलेशन जरूर हो।

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