बिग ब्रेकिंग

बदरीनाथ यात्रा पर संकट: भू-धंसाव की चपेट में हाईवे, कई हिस्सों में धंस रहा धाम की तरफ जाने वाला एकमात्र रास्ता

Spread the love
Backup_of_Backup_of_add

देहरादून। जोशीमठ में बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग भी भू-धंसाव की चपेट में है। लाखों हिंदुओं की आस्था के केंद्र बदरीनाथ की तरफ जाने वाले इस एकमात्र मार्ग के कई हिस्सों में एक से दो मीटर तक दरारें आई हैं। सरकार फिलहाल मार्ग के ट्रिटमेंट की बात कर रही है, लेकिन यात्रा शुरू होने से पहले मार्ग को सुचारू रखना सरकार के लिए बड़ी चुनौती होगी।
बदरीनाथ हाईवे धार्मिक ही नहीं सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। हाईवे पर आईं बड़ी-बड़ी दरारें सरकार की चिंता का बड़ा कारण बन गई हैं। यदि दरारें नहीं थमीं तो हाईवे का एक बड़ा हिस्सा कभी भी जमींदोज हो सकता है। ऐसे हालात में बदरीनाथ धाम ही नहीं भारतीय सेना चीन की सीमा से कट सकती है।
इस मार्ग पर जोशीमठ में स्टेट बैंक के सामने, मुख्य बाजार में लोनिवि गेस्ट हाउस के नीचे, जेपी कलोनी और मारवाड़ी में भी एक से दो मीटर तक की दरारें आई हैं। क्षेत्र का दौरा कर लौटे भू-विज्ञानी प्रो़ एमपीएस बिष्ट ने बताया कि हाईवे पर दरारों का पैट्रन समांनातर और क्रास क्रेक का है। इनका समय पर उपचार किया जाना जरूरी है। इसके अलावा सड़क के किनारे धंस रहे बड़े-बड़े बोल्डर भी चिंता बढ़ा रहे हैं।
सीमांत जिले चमोली के जोशीमठ से बदरीनाथ की दूरी करीब 46 किमी है। बदरीनाथ से आगे का रास्ता चीन सीमा की ओर जाता है। इसी के तहत यहां चारधाम अल वेदर रोड परियोजना के तहत हेलंग से जोशीमठ बाईपास का निर्माण किया जा रहा था, लेकिन भू-धंसाव के बाद इसके निर्माण पर भी रोक लगा दी गई है। हालांकि अब शासन स्तर पर पुन: मार्ग पर काम शुरू करने की संभावनाओं को तलाश जा रहा है। लेकिन यह पूरी तरह से आईआईटी रुड़की तकनीकी रिपोर्ट पर निर्भर करेगा।
मारवाड़ी: मार्ग के इस हिस्से में भी सड़क धंस रही है। यहां यदि सड़क पूरी तरह धंसती है तो बदरीनाथ जाने का दूसरा कोई रास्ता नहीं है।
जोशीमठ में हेलंग से मारवाड़ी तक बनाए जाने रहे बाईपास को बनने में समय लग सकता है। इस मार्ग में हेलंग और मारवाड़ी दोनों तरफ के चट्टानों को काटने का काम किया जा रहा था। करीब तीन किमी तक कटिंग हो चुकी है। लेकिन इसमें दो बड़े पुल भी बनने हैं, इनके निर्माण में समय लग सकता है। ऐसे में यदि रात दिन भी इस सड़क पर काम किया जाए तो यह कहना मुश्किल है कि यात्रा से पहले यह मार्ग शुरू हो पाएगा।
उत्तराखंड में चारधाम यात्रा अप्रैल के अंतिम सप्ताह में शुरू होगी। इससे पहले 26 जनवरी को बसंत पंचमी पर बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि तय की जाएगी। जबकि केदारनाथ के कपाट खुलने की तिथि 18 फरवरी को शिवरात्रि के दिन तय की जाएगी। वहीं, गंगोत्री-यमुनोत्री के कपाट अक्षय तृतीया 22 अप्रैल को खुल जाएंगे।
जोशीमठ में बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग के धंसाव पर शासन-प्रशासन पूरी नजर बनाए हुए हैं। संबंधित एजेंसियों को मार्ग के ट्रीटमेंट के निर्देश दिए गए हैं। यात्रा से पहले मार्ग को पूरी तरह से दुरूस्त कर दिया जाएगा। हेलंग बाईपास का काम शुरू हो सकता है या नहीं इस पर आईआईटी रुड़की से एक सप्ताह में रिपोर्ट मांगी गई है।

बदरीनाथ यात्रा पर संकट, औली में विंटर गेम पर संशय बरकरार, सरकार के लिए बनी चुनौती
देहरादून। चारधाम यात्रा के दौरान देश दुनिया से सबसे अधिक तीर्थयात्री बदरीनाथ मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं। कोविड महामारी के दो साल बाद 2022 की चारधाम यात्रा में 8 मई से 19 नवंबर 2022 तक बदरीनाथ धाम में 17़50 लाख से अधिक श्रद्घालुओं ने दर्शन किए।
इस बार भी अप्रैल-मई में शुरू होने वाली यात्रा के लिए जहां सरकार व पर्यटन विभाग पहले से तैयारियां में जुट गया है। वहीं, जोशीमठ आपदा से बदरीनाथ धाम की यात्रा सरकार के लिए चुनौती बन गई है।
जोशीमठ शहर के ठीक ऊपर औली की ढलानों पर फरवरी पहले सप्ताह में प्रस्तावित विंटर गेम(शीतकालीन खेलों) के आयोजन पर संशय बना हुआ है। जोशीमठ में भू-धंसाव से वर्तमान में जिस तरह की हालात हैं। उसे पर्यटन कारोबार प्रभावित हुआ है।
बाहरी राज्यों से आने वाले पर्यटकों में जोशीमठ आपदा के कारण पर्यटन को लेकर गलत संदेश न जाएं। इसके लिए सरकार औली में विंटर गेम कराने का प्रयास कर रही है। अब औली की ढलानों पर स्कीइंग के लिए अच्छी बर्फ भी पड़ चुकी है।
पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज का कहना है कि औली में प्रस्तावित शीतकालीन खेलों का आयोजन कराने के लिए सरकार हरसंभव प्रयास रही है। जोशीमठ भू-धंसाव की स्थिति पर भी नजर रखी जा रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!