करोड़ों रुपये की लागत से बने घाटों में जमी है रेत, पसरी गंदगी
रुद्रप्रयाग। नमामि गंगे के तहत नगर क्षेत्र रुद्रप्रयाग में करोड़ों रुपये की लागत से बने घाटों का लाभ न पर्यटकों को मिल पा रहा है और ना ही स्थानीय जनता को। बरसात के बाद इन घाटों में कई फीट ऊंची रेत की परत जमा हो गई है। लेकिन, इसे हटाया तक नहीं जा सका है। प्रत्येक बरसात में बड़ी मात्रा में सिल्ट आने से घाटों की डिजाइनिंग पर पहले ही सवाल उठते रहे हैं। नगर मुख्यालय में नमामि गंगे योजना के तहत चार स्थानों पर घाट बनाए गए हैं। इनमें अलकनंदा नदी पर पुराने विकास भवन के नीचे, बेलणी में हनुमान मंदिर के नीचे, जज कार्यालय के नीचे एवं संगम स्थल के पास यह घाट बनाए गए हैं। जबकि, अलकनंदा-मंदाकिनी संगम स्थल पर घाट बनाया जाना था, लेकिन इसमें इसे शामिल नहीं किया गया। निर्माणदायी संस्था वासकोप कंपनी की ओर से दो वर्ष पूर्व सभी घाटों का निर्माण कार्य पूरा किया गया था, पिछली बरसात में ही इसके बाद बरसात शुरू होने एवं नदियों का जल स्तर बढ़ने से घाटों पर मलबा व रेत जमने के साथ ही घाट क्षतिग्रस्त हो गए। केवल पुराने विकास भवन के नीचे वाला घाट सुरक्षित रहता है। इन घाटों पर कुल 12 करोड़ रुपये से अधिक खर्च कर घाटों पर टायल्स, रेलिंग, चेंजिंग रूम, व्यू प्वाइंट, सोलर लाइटें, बड़ी स्ट्रीट लाइटें, शवदाह गृह, विश्राम गृह समेत कई कार्य शामिल हैं। इस बार भी बरसात में नदियों में पानी बढ़ने के साथ ही उसमें बड़ी मात्रा में सिल्ट एवं रेत बहकर आने से वह इन घाटों व उसके आसपास के स्थानों पर जमा हो गया। पुराना चेंजिग रूम भी रेत से ढक गया है।
प्रत्येक वर्ष नदी में सिल्ट आने से यह घाट हजारों टन रेत से भर जाएंगे, ऐसे में नमामि गंगे का यह प्रोजेक्ट सरकार की उम्मीदों पर पानी फेर रहा है। अलकनंदा नदी पर रुद्रप्रयाग क्षेत्र में बने घाटों पर बरसात मे रेत जमा हो गई है। इसे हटाने के लिए प्रशासन से संपर्क किया जा रहा है। जल्द से जल्द रेत हटाने के लिए प्रयास किया जा रहा है। -गीता झिक्वाण, नगर पालिका अध्यक्ष, रुद्रप्रयाग