देश-विदेश

90 डालर प्रति बैरल के नीचे आ सकती है कच्चे तेल की कीमत

Spread the love
Backup_of_Backup_of_add

 

नई दिल्ली, एजेंसी। चीन के औद्योगिक उत्पादन में लगातार दूसरे महीने गिरावट का असर कच्चे तेल की कीमतों पर दिखने लगा है। चीन कच्चे तेल का सबसे बड़ा आयातक देश है और चीन में औद्योगिक गतिविधियों में सुस्ती आने से कच्चे तेल की मांग प्रभावित होने की पूरी संभावना है। यही वजह है कि वैश्विक स्तर पर ब्रेंट क्रूड की कीमतों में तीन प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई और कच्चे तेल की कीमत 103़9 डालर प्रति बैरल रही।
मंगलवार को इसकी कीमत और कम होने की उम्मीद है। यूरोप भी आगामी दिसंबर तक रूस से कच्चे तेल का आयात करता रहेगा जिससे वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की आपूर्ति के लिए सीमित देशों पर निर्भरता नहीं रहेगी। एसबीआई इकोरैप ने तो अगले एक-दो महीनों में कच्चे तेल की कीमत 90 डालर प्रति बैरल के नीचे जाने की संभावना जताई है।
सोमवार को जारी की गई रिपोर्ट के मुताबिक चीन में कच्चे तेल की मांग लगातार कम हो रही है और इस साल अप्रैल में चीन में पेट्रोल, डीजल व हवाई फ्यूल की मांग में पिछले साल अप्रैल के मुकाबले 20 प्रतिशत तक की कमी हो सकती है। इस हिसाब से चीन में कच्चे तेल की खपत में प्रतिदिन 12 लाख बैरल की कमी का अनुमान है।
रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2021 में चीन में कच्चे तेल की औसत मांग के मुकाबले अभी नौ प्रतिशत तक की कमी आ चुकी है। रूस-यूक्रेन युद्घ के शुरू होने से कुछ दिन पहले तक कच्चे तेल की वैश्विक कीमत 90 डालर प्रति बैरल के आसपास थी जो युद्घ के बाद 130 डालर प्रति बैरल के पास पहुंच गई थी।
चीन में कच्चे तेल की मांग में कमी और यूरोप व अमेरिका द्वारा रूस से तेल की खरीद जारी रखने से कच्चे तेल में फिर से नरमी का रुख शुरू हो गया है। कोरोना की वजह से चीन के कई प्रमुख शहरों में लाकडाउन लगने से वहां का औद्योगिक उत्पादन गिरावट के साथ पिछले वर्ष 2020 के फरवरी के पास पहुंच गया है।
यूरोपीय देश की तरफ से रूस से कच्चे तेल की खरीदारी जारी रखने से रूस ने कच्चे तेल का उत्पादन जारी रखा है। रूस प्रतिदिन 47 लाख बैरल का उत्पादन करता है और इस उत्पादन का 50 प्रतिशत यूरोप के देशों को निर्यात करता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!