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खुद अस्थमा पीडित होकर दूसरों की जिन्दगी बचा रही हैं डा0 अभिलाषा

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नई टिहरी। उत्तराखंड में कोरोना वायरस की दस्तक से विगत वर्ष जब लोग सहम से गए थे, उस वक्त स्वास्थ्य कर्मियों ने ही सबसे पहले कोरोना वायरस का सामना किया और पीड़ितों की जिंदगी बचाने में खुद को झोंक दिया। टिहरी जिले में तैनात डॉ. अभिलाषा ने स्वयं अस्थमा से पीड़ित होने के बावजूद फ्रंट लाइन में काम किया और कोरोना योद्धा बनकर उभरी। इन दिनों भी डॉ. अभिलाषा नई टिहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कोरोना के खिलाफ जंग में मजबूती से मोर्चा थामें हुए हैं।
कोरोना की दूसरी लहर में भी उनका यह जज्बा बरकरार है। डॉ. अभिलाषा वीर चंद्र सिंह गढ़वाली राजकीय मेडिकल कॉलेज श्रीनगर गढ़वाल से पासआउट हैं। वह पिछले साल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र छाम टिहरी में कार्यरत रहीं। कोरोना की दस्तक हुई तो उनके कंधों पर महत्वपूर्ण जिम्मेदारी आ गई। स्वयं अस्थमा से पीड़ित होने पर उन्हें कोरोना संक्रमण का खतरा ज्यादा था, लेकिन उन्होंने अपनी परवाह नहीं की और सैंपलिंग, मॉनिटिरिंग और ट्रीटमेंट का काम शुरू कर दिया।
प्रवासियों के आने का सिलसिला शुरू हुआ और अस्पताल में भी कोरोना पीड़ितों के आने का दौर शुरू हुआ। इस दौरान खुद भी कई बार डॉ. अभिलाषा की तबीयत खराब हुई। पिछले साल जून में तो वह ड्रिप चढ़ी होने के बावजूद अपनी ड्यूटी करती रहीं। इस दौरान उनके पिता केएल कौबियाल और मां कमला देवी ने भी उन्हें फर्ज निभाने के लिए प्रोत्साहित किया। वह अभिलाषा को सावधानी बरतने के लिए भी हर दिन कहते थे।
वह अभी तक तीन बार अपनी कोरोना जांच करवा चुकी, लेकिन हर बार विजेता बनकर उभरी और रिपोर्ट नेगेटिव आई। पिछले साल अक्टूबर में डॉ. अभिलाषा का ट्रांसफर नई टिहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में हुआ। पिछले कुछ दिनों से कोरोना की दूसरी लहर चलने के बाद अभिलाषा फिर से पुराने अंदाज में हैं और हर दिन मरीजों की जांच और उपचार में जुटी हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नई टिहरी की प्रभारी डॉ. अभिलाषा कौबियाल ने बताया कि मुझे अस्थमा की शिकायत रहती है, लेकिन कोरोना के खिलाफ लड़ने के लिए मेरे फर्ज ने मुझे हौसला दिया। पिछले साल से अभी तक मैंने मास्क नहीं उतारा है। अब तो मास्क लगाया है या नहीं लगाया है यह भी पता नहीं चलता।

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