दिल्ली हाईकोर्ट की केंद्र को फटकार, कहा- किसी भी तरह सुधारें आपूर्ति व्यवस्था
नई दिल्ली , एजेंसी। अक्सीजन को लेकर दिल्ली के अस्पतालों में हालात काफी गंभीर हो चुके हैं। स्थिति यह है कि ये अस्पताल अब आपस में ही झगड़ने लगे हैं। ताजा मामला दिल्ली एम्स और मैक्स अस्पताल प्रबंधन के बीच सामने आया है। मैक्स का आरोप है कि उनके कोटा की अक्सीजन एम्स को भेज दी गई। मैक्स ने एम्स प्रबंधन की शिकायत स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन से की है। साथ ही मैक्स अस्पताल ने दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया और तुरंत सुनवाई की मांग की। अक्सीजन के मसले पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने केंद्र सरकार से औद्योगिक उद्देश्यों के लिए अक्सीजन की आपूर्ति तुरंत रोकने के लिए कहा।
हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि आपको डिमांड और सप्लाई का कोई अंदाजा क्यों नहीं है? केंद्र अक्सीजन जल्द से जल्द अस्पतालों में भेजने के लिए रोड पर डेडिकेटेड करिडोर बनाए और अगर संभव हो तो अक्सीजन को एयरलिफ्ट कराया जाए। हाईकोर्ट ने कहा कि इससे ज्यादा हम क्या आदेश करें।
मैक्स अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि बीते मंगलवार रात शालीमार बाग स्थित मैक्स अस्पताल में अक्सीजन की कमी हो गई। काफी समय से वह इसकी सूचना दिल्ली सरकार को दे रहे थे। उन्हें पता चला कि अक्सीजन की कमी दूर करने के लिए एक टैंकर उनके पास भेजा रहा है लेकिन देर रात पता चला कि वह टैंकर शालीमार बाग न पहुंचकर दिल्ली एम्स भेज दिया। इसके चलते उनके अक्सीजन टैंक खाली हो गए। ऐसी गंभीर परिस्थिति में मरीजों को अक्सीजन सिलेंडर के सहारे ही संभालना पड़ रहा है। फिलहाल अस्पताल प्रबंधन अक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था मैक्स हेल्थ केयर नेटवर्क के दूसरे अस्पतालों से मांगकर कर रहे हैं। मैक्स के मुताबिक उनके 250 कोरोना मरीज भर्ती हैं, अधिकतर अक्सीजन सपोर्ट पर हैं। इस घटना की वजह से उनके मरीजों की सुरक्षा खतरे में पड़ी है और इससे हालात काफी गंभीर हो सकते हैं। मैक्स ने सरकार से अपील की है कि सरकार अक्सीजन की आपूर्ति उनके अस्पतालों को सुनिश्चित करें। मैक्स प्रबंधन के मुताबिक उन्हें रोजाना 25 मैट्रिक टन अक्सीजन की जरूरत है। मैक्स प्रबंधन ने शिकायत की प्रति केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ड हर्षवर्धन को भी भेजी है।
उधर इस मामले को लेकर एम्स प्रबंधन का कहना है कि उनके यहां मुख्य अस्पताल परिसर और ट्रामा सेंटर में कोरोना मरंज भर्ती हैं। मुख्य अस्पताल परिसर में 33 अक्सीन बेड हैं जबकि ट्रामा सेंटर में 226 अक्सीजन और 71 आईसीयू बेड हैं। बुधवार दोपहर को यह सभी पूरी तरह से भर चुके हैं और अब मरीजों को झज्जर स्थित एम्स के ही र्केसर अस्पताल में भेजा जा रहा है। एम्स प्रबंधन के अनुसार उन्होंने किसी भी अस्पताल के कोटा से अक्सीजन नहीं लिया है। उन्होंने आरोप से इंकार करते हुए कहा कि अक्सीजन वितरण की जिम्मेदारी केंद्र और राज्य सरकार के पास है। इसमें अस्पताल के स्तर पर कोई दखलअंदाजी नहीं है। ऐसे में एम्स पर लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं।
मैक्स अस्पताल के अनुसार साकेत स्थित अस्पताल में 185 कोरोना मरीज हैं जिनके लिए अब केवल 18 घंटे की अक्सीजन बची है। वहीं मैक्स स्मार्ट में 235 मरीज और पटपडगंज स्थित अस्पताल में भर्ती 262 मरीजों के लिए तीन घंटे की अक्सीजन बची है। यही हाल शालीमार बाग स्थित अस्पताल का है जहां 285 मरीजों के लिए दो और वैशाली स्थित अस्पताल में 170 मरीजों के लिए आठ घंटे की अक्सीजन शेष है।