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दिल्ली में सांसों पर पहरा! इस सीजन की सबसे प्रदूषित हवा, गंभीर श्रेणी में एक्यूआई

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नई दिल्ली, एजेंसी। दिल्ली की हवा दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है। शुक्रवार को हवा इस सीजन की सबसे ज्यादा प्रदूषित रही। एयर क्वालिटी इंडेक्स का लेवल गंभीर श्रेणी में पहुंच गया। आने वाले कुछ दिनों में इसके और भी खराब होने के आसार जताए जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि दिल्ली में वायु प्रदूषण जनवरी के बाद से अपने उच्चतम स्तर पर है।
दिल्ली के आनंद विहार में शाम 4 बजे वायु गुणवत्ता सूचकांक 455 था, जिससे यह यहां के सबसे प्रदूषित क्षेत्रों में से एक बन गया। शाम 5 बजे पूरी दिल्ली का एक्यूआई 357 था। वहीं, गाजियाबाद में एक्यूआई 384, नोएडा में एक्यूआई 371, ग्रेटर नोएडा में एक्यूआई 364 और फरीदाबाद में एक्यूआई 346 था। सिर्फ दिल्ली ही नहीं पंजाब से लेकर उत्तर प्रदेश और बिहार तक, 34 भारतीय शहरों में वायु की गुणवत्ता बहुत खराब श्रेणी में है।
राजधानी में दिवाली की रात पटाखों पर लगाए प्रतिबंध का कई निवासियों द्वारा उल्लंघन किए जाने के बाद राजधानी में मंगलवार को वायु गुणवत्ता बहुत खराब दर्ज की गई थी, लेकिन अगले दिन प्रदूषण का स्तर 2015 के बाद से सबसे कम रहा। ऐसा गर्मी और हवाएं चलने के कारण हुआ, जिसने प्रदूषण के प्रभाव को कम कर दिया। पिछले दो वर्षों में, नवंबर में दिवाली के बाद दिल्ली और उसके आस-पास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता श्गंभीरश् श्रेणी में देखी गई थी। इस महीने के दौरान पराली जलाने की घटनाएं भी जोर पकड़ती हैं जिससे क्षेत्र में घनी धुंध छाई रहती है, जबकि कम तापमान प्रदूषकों को टंटने से रोकता है।
इस साल दिवाली मौसम की शुरुआत में मनाई गई, इसलिए अपेक्षात गर्मी रहने और हवाएं चलने के कारण प्रदूषण कम रहा। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक, मंगलवार को शाम चार बजे 24 घंटे का औसत एक्यूआई 303 था, जो 2015 के बाद से दिवाली के बाद के दिन के लिए सबसे कम था। दिवाली के अगले दिन दिल्ली का एक्यूआई 2015 में (360), 2016 में (445), 2017 में (403), 2018 में (390), 2019 में (368), 2020 में (435) और 2021 में (462) दर्ज किया गया था।
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के अनुसार, राजधानी में पिछले साल की तुलना में इस साल दिवाली के दौरान पीएम 2़5 के स्तर में 64 प्रतिशत की कमी और पीएम10 के स्तर में 57 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति ने इस बार अपेक्षात बेहतर वायु गुणवत्ता को पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में कमी, बेहतर मौसम संबंधी स्थितियों और कम पटाखे फोड़नेश् को जिम्मेदार ठहराया।

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