मल्लिकार्जुन मंदिर को मानसखण्ड करिडोर से जोड़ने की मांग
पिथौरागढ़। अस्कोट के क्षेत्रीय लोगों ने प्रसिद्घ मल्लिकार्जुन महादेव मंदिर को मानसखंड करिडोर योजना से जोड़ने के लिए सरकार से मांग उठाई है। पुरातन मंदिर को मानसखंड करिडोर में शामिल करने से देश-विदेश के श्रद्घालुओं को इसके दर्शनों का लाभ मिलेगा। इस सीमांत क्षेत्र में धार्मिक पर्यटन विकास की संभावनाएं भी बढ़ेंगी। अस्कोट के उत्तराखंड सांस्तिक मंच ने प्रदेश सरकार से मानसखण्ड करिडोर में मल्लिकार्जुन महादेव मंदिर को शामिल करने की मांग की है। मंगलवार को अध्यक्ष गोविन्द भण्डारी ने कहा कि अंगलेख नामक पहाड़ी की चोटी पर स्थित मल्लिकार्जुन मंदिर न केवल भारत बल्कि पडोसी देश नेपाल के एक बड़े सीमावर्ती क्षेत्र के लोगों का प्रमुख धार्मिक स्थल है। सन 1822 में तत्कालीन राजा महेन्द्र पाल द्वितीय द्वारा निर्मित इस मन्दिर में स्थित स्वयं प्रस्फुटित शिवलिंग भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक श्री मल्लिकार्जुनम् का ही अंश माना जाता है। 1960 से पूर्व तक जब अस्कोट भी प्रसिद्घ कैलाश मानसरोवर यात्रा का एक पड़ाव स्थल था। यात्री दर्शनों के बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए आगे बढ़ते थे। अस्कोट राजवंश के 108वें कुंवर भानुराज पाल,मल्लिकार्जुन महोत्सव समिति के अध्यक्ष महेश पाल,कोषाध्यक्ष वीरजंग पाल,सचिव गणेश भट्ट,मुख्य पुजारी एनबी पंत सहित अन्य क्षेत्रवासियों ने सरकार से मानसखण्ड कोरिडोर में शामिल करने की मांग की है।