कोटद्वार-पौड़ी

आपदा प्रभावितों ने मुआवजा लेने से किया इंकार

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जयन्त प्रतिनिधि।
श्रीनगर : विकासखंड कीर्तिनगर के अंतर्गत ग्राम पंचायत गवाणा में गत 19 अगस्त को बादल फटने से आई बाढ़ से बुरी तरह से तहस-नहस हुए सिंचित खेतों का मुआवजा लेने से ग्रामीणों ने इंकार कर दिया है। प्रभावित ग्रामीणों का कहना है कि जितना उनका नुकसान हुआ है सरकार उतना मुआवजा नहीं देगी। इसलिए सरकार समस्त प्रभावित भूमि को दैवीय आपदा में वित्त पोषण कर प्रभावित खेतों का ट्रीटमेंट (उपचार) करे।
डागर पट्टी के मंगलवार को ग्राम पंचायत गवाणा में आयोजित प्रभावित काश्तकारों की बैठक में ग्रामीणों ने कहा कि दैवीय आपदा से उनकी 70 प्रतिशत से अधिक सिंचित भूमि पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हुई है। जिसका उपचार करना काश्तकार के सामथ्र्य में नहीं है। कहा सरकार द्वारा दिया जा रहा मुआवजा इतना कम है कि उससे नुकसान की कुछ भी भरपाई होना संभव नहीं है। बैठक के बाद ग्रामीणों ने देवप्रयाग विधायक विनोद कंडारी को भेजे ज्ञापन में कहा कि ग्राम पंचायत गवाणा के अखरबाड़ी नामी तोक से बच्वाण नामी तोक तक प्रभावित खेती के उपचार हेतु इसे दैवीय आपदा में वित्त पोषण करने, ट्रीटमेंट से पूर्व ग्राम पंचायत में एक तकनीकी समिति भेजे जाने, अखरबाड़ी नामी तोक से बच्वाण नामी तोक तक गदेरे के दोनों तरफ पांच फीट ऊंची सुरक्षा दीवार बनाए जाने की मांग की है। जिससे भविष्य में निर्मित वाले खेतों एवं पूर्व खेतों की बाढ़ आपदा से सुरक्षा हो सके। इसके अलावा ग्रामीणों ने कहा कि प्रभावित खेतों के ट्रीटमेंट के लिए मिट्टी का भरान जरूरी है। इन खेतों में मिट्टी की व्यवस्था के लिए वन विभाग से स्वीकृति दिलाने की मांग है। बैठक और ज्ञापन देने वालों में क्षेत्र पंचायत सदस्य गवाणा प्रियंका नेगी, प्रधान राजी बलूड़ी, चंद्रपाल सिंह चौहान, रतन सिंह बलूड़ी, केदार सिंह नेगी, जगत सिंह चौहान, कमला देवी नेगी, दीवान सिंह नेगी, राजेंद्र सिंह, ऋतु देवी, प्रियंका देवी, गोविंद सिंह, सतपाल सिंह, चंदन सिंह, विजय सिंह, रमेश सिंह नेगी, रमेश सिंह नेगी, सते सिंह चौहान, महावीर सिंह, मुरारी सिंह नेगी आदि मौजूद रहे।

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