पारंपरिक यात्रा पथ को समझने की आवश्यकता : डीएम
श्रीनगर गढ़वाल : जिला प्रशासन की पहल पर मध्य हिमालय के पारंपरिक यात्रा पथ (प्रथम भाग) ऋषिकेश से देवप्रयाग के संबंध में जानकारी जुटाने व जानकारियों को साझा करने के लिए पर्यटन विभाग व एचएनबी गढ़वाल विवि के एआईएचसी व पुरातत्व विभाग के संयुक्त तत्वाधान में एक दिवसीय सेमिनार आयोजित किया गया।
इस मौके पर जिलाधिकारी गढ़वाल डॉ. आशीष चौहान ने विवि के छात्रों को इस पारंपरिक पथ की यात्रा करने से साक्ष्य व जानकारियां जुटाने को कहा। उन्होंने पारंपरिक यात्रा पथ को समझे जाने की आवश्यकता पर जोर दिया। गढ़वाल विवि के चौरास परिसर स्थित अकादमिक क्रियाकलाप केंद्र में आयोजित सेमिनार में डीएम डा. चौहान ने कहा कि इस यात्रा पथ को इकोनॉमी से जोड़ने के बाद यह मार्ग विश्व पटल पर उभरकर सामने आएगा। विवि के प्रति कुलपति प्रो. आरसी भट्ट ने कहा कि यात्रा पथ पर चट्टियों का निर्माण और उसकी देखरेख के लिए चट्टी चौधरियों को चुनना एक महत्वपूर्ण विषय था। कहा कि मैदानी इलाकों से आने वाले यात्रियों के साथ बीमारियों के आने का खतरा बना रहता था। पहाड़ के लोगों को इन बीमारियों से दूर रखने के लिए चट्टियों के निर्माण और उसमें चट्टी चौधरियों की नियुक्ति की जाती थी। उन्होंने कहा कि पारंपरिक यात्रा पथ को नए स्वरूप में लाकर इसका सार्थक उपयोग किया जाना चाहिए। इस अवसर पर सिंगल यूज प्लास्टिक से श्रीनगर को मुक्त करने के लिए नगर आयुक्त श्रीनगर द्वारा तैयार कराए गए जूट के थैलों को भी वितरित किया गया। इस अवसर पर डॉ. लोकेश ओहरी फाउंडर इनाच, प्रो. राजपाल सिंह नेगी, उपजिलाधिकारी श्रीनगर नूपूर वर्मा, जिला पर्यटन विकास अधिकारी प्रकाश खत्री, बीडीओ यमकेश्वर दृष्टि आनंद, डा. सर्वेश उनियाल, नगर निगम के स्वास्थ्य निरीक्षक शशि पंवार आदि मौजूद रहे। (एजेंसी)