दून की सात परियोजनाएं 35 फीसद श्रमिकों के भरोसे
संवाददाता, देहरादून। लॉकडाउन के बीच निर्माण कार्यों को गति देने की कवायद पर श्रमिकों और निर्माण सामग्री की कमी से व्यवधान पैदा हो रहा है। स्मार्ट सिटी से लेकर लोनिवि और एनएचएआइ की 799 करोड़ की सात परियोजनाएं औसतन 35 फीसद श्रमिक क्षमता पर किसी तरह सरक रही हैं। कई जगह तो निर्माण कार्यों में बंदी जैसे हालात दिख रहे हैं।
इस समय दून में स्मार्ट सिटी लि़ कंपनी की चार, लोनिवि की दो और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) की एक परियोजना का निर्माण चल रहा है। निर्माण में सबसे अधिक मुश्किल मशीनों के ऑपरेटर व शटरिंग का काम करने में दक्ष लोगों की कमी के रूप में सामने आ रही है। स्मार्ट सिटी के कार्यों की बात करें तो परेड ग्राउंड में चौतरफा नाली निर्माण का काम अधर में दिख रहा है, जबकि पलटन बाजार में नाली निर्माण, स्मार्ट रोड में सीवर लाइन बिछाने व पाइप लाइन डालने के काम की गति भी ना के बराबर रह गई है।
दूसरी तरफ देहरादून-मसूरी रोड और दून की तमाम सड़कों पर पैचवर्क के काम भी नहीं हो पा रहे। बरसात से पहले इसी समय में यह काम किए जाते हैं। लोनिवि प्रांतीय खंड के अधिशासी अभियंता जेएस चौहान का कहना है कि छोटे स्तर के कई ठेकेदार भी अपने राज्य लौट चुके हैं। अभी जो मध्यम व बड़े स्तर के ठेकेदार हैं, वह पैचवर्क का काम नहीं कर रहे।
इन परियोजनाओं पर असर
स्मार्ट सिटी
स्मार्ट रोड, मल्टीयूटिलिटी डक्ट (स्मार्ट रोड), ड्रेनेज, सीवरेज (203़23 करोड़)
वाटर सप्लाई, (26़92 करोड़)
स्मार्ट वाटर मैनेजमेंट (22़38 करोड़)
परेड ग्राउंड सुदृढ़ीकरण, (21़19 करोड़)
पलटन बाजार पैदल पथ, (13़81 करोड़)
बाधा: अभी 150 के करीब श्रमिक चारों परियोजना में कार्य कर रहे हैं। अभी 100 से अधिक श्रमिकों की जरूरत है।
लोक निर्माण विभाग
मसूरी की मल्टीलेवल पार्किंग
लागत 31़ 78 करोड़ रुपये है।
अक्टूबर-नवंबर 2018 में निर्माण शुरू हुआ।
जुलाई 2018 में पहली डेडलाइन बीती।
जुलाई 2019 में दूसरी डेडलाइन खत्म।
31 मार्च को 2020 तीसरी डेडलाइन भी पूरी, लेकिन काम अधूरा।
लॉकडाउन से पहले 60 श्रमिक काम कर रहे थे, अब संख्या 20 रह गई है।
बीरपुर पुल का निर्माण
ब्रिटिशकालीन पुराना जर्जर पुल दिसंबर 2018 में क्षतिग्रस्त हुआ।
इससे पहले मार्च 2018 में नए पुल के निर्माण की स्वीकृति मिल पाई थी।
सब एरिया से सितंबर 2018 में एनओसी मिल पाई।
पुल टूटने के बाद मार्च-अप्रैल 2019 में काम शुरू हो पाया।
अप्रैल 2020 तक काम पूरा हो जाना चाहिए था।
श्रमिकों की कमी के चलते अब जुलाई माह तक काम पूरा होने की उम्मीद।
सड़कों की मरम्मत भी लटकी
मसूरी रोड पर रोजाना 20 ट्रॉली निर्माण सामग्री की जरूरत है। अभी चार-पांच ही पहुंच पा रही है। निर्माण सामग्री की आवक में एक समय में तीन-चार वाहनों को ही अनुमति मिल रही है। शहर में भी पैचवर्क करने वाले ठेकेदार नहीं मिल रहे।
हरिद्वार-देहरादून राजमार्ग चौड़ीकरण की भी धीमी चाल
500 करोड़ रुपये के अवशेष कार्यों को पूरा करने का लक्ष्य अगस्त 2020 रखा गया था। प्राधिकरण के परियोजना निदेशक विभव मित्तल का कहना है कि ठेकेदार अवधि बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। इस समय 35 से 40 फीसद श्रमिक ही शेष रह गए हैं। कुछ ठेकेदार भी घर चले गए हैं। निर्माण सामग्री की स्थिति यह है कि रोजाना 10 हजार घनमीटर की जरूरत है और सिर्फ दो हजार घनमीटर तक मिल पा रहा है। अभी तक देहरादून से लाल तप्पड़ तक 64 फीसद व इससे आगे हरिद्वार तक 56 फीसद काम हो पाया है।
दून में 14 हजार लोगों की कमी
लॉकडाउन में देहरादून में दूसरे राज्यों में फंसे 10 हजार 390 लोग बुधवार तक वापस लौट चुके हैं। वहीं, देहरादून से अपने राज्यों को लौटने वाले लोगों की संख्या 24 हजार 615 है। इस तरह देखें तो देहरादून वापस आने वाले लोगों की संख्या बाहर गए लोगों के मुकाबले 14 हजार से अधिक है। जाहिर है यही कमी विभिन्न वर्ग के श्रमिकों के रूप में भी सामने आ रही है।