दवा जमाखोरी मामला: दिल्ली हाईकोर्ट से गौतम गंभीर को मिली राहत, निचली अदालत के फैसले पर लगाई रोक
नई दिल्ली । उच्च न्यायालय ने सोमवार को सांसद गौतम गंभीर व उनके फाउंडेशन और अन्य के खिलाफ कोविड-19 दवाओं के भंडारण और वितरण से संबंधित एक मामले में ट्रायल कोर्ट में सुनवाई पर रोक लगा दी है। साथ ही अदालत ने मामले में दिल्ली ड्रग कंट्रोल अथरिटी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर ने गौतम गंभीर फाउंडेशन, गंभीर और अन्य आरोपियों द्वारा आपराधिक शिकायत के खिलाफ दायर याचिका पर दिल्ली ड्रग कंट्रोल अथरिटी से जवाब तलब करते हुए मामले की सुनवाई 8 दिसंबर तय की है। निचली अदालत ने सभी आरोपियों के खिलाफ सम्मन जारी कर तलब किया था।
ड्रग कंट्रोल विभाग ने गौतम गंभीर फाउंडेशन, गौतम गंभीर, उसके सीईओ अपराजिता सिंह, अपराजित सिंह, सीमा गंभीर व नताश गंभीर के खिलाफ शिकायत दायर की थी। इसके अलावा ड्रग कंटोल विभाग ने आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक प्रवीण कुमार और इमरान हुसैन के खिलाफ भी दो अलग-अलग शिकायतें भी दर्ज की गई हैं।
याची ने कहा कि उनके खिलाफ गलत तरीके से मामला दर्ज किया गया है और उन्होंने दवाओं की जमाखोरी नहीं की है। इसके अलावा उन्होंने मात्र जन कल्याण में निशुल्क दवाओं का वितरण किया है। निचली अदालत ने 26 जुलाई को दायर शिकायत पर संज्ञान लेते हुए कहा है कि सभी आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए प्रथम दृष्टया साक्ष्य है।
अभियोजन के अनुसार गौतम गंभीर और फाउंडेशन व अन्य लोगों ने 22 अप्रैल, 2021 से 18 मई, 2021 तक आयोजित एक चिकित्सा शिविर के दौरान कथित तौर पर कोरोना के इलाज में काम आने वाली फैबीफ्लू टैबलेट और मेडिकल अक्सीजन नामक दवाओं का स्टक और वितरण किया। ट्रायल कोर्ट ने फाउंडेशन के खिलाफ मामले की सुनवाई 7 फरवरी, 2022 तय की हुई है। यह मामला हाईकोर्ट के निर्देश पर दर्ज किया गया था।
3 जून को, दिल्ली के ड्रग कंट्रोलर ने दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया था कि गंभीर फाउंडेशन को कोविड-19 रोगियों को अनधित स्टकिंग, खरीद और फैबीफ्लू दवा वितरित करने का दोषी पाया गया है। उच्च न्यायालय ने कहा था कि जिस तरह से बड़ी मात्रा में दवा की खरीद की गई थी़ उससे वास्तविक रोगियों को उस विशेष समय पर दवा नहीं मिल पाई, क्योंकि गंभीर ने दवा की जमोखोरी की थी।