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दु:खद, कोटद्वार निवासी तीन राज्य ख्यातिलब्ध विभूतियों का निधन

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जयन्त प्रतिनिधि
कोटद्वार।
कोटद्वार क्षेत्र में लगातार जिन्दगियों को लील रहे माहौल में बीते बुधवार की देर रात्रि कोटद्वार में निवास कर रही तीन राज्य ख्यातिलब्ध विभूतियां भी इस लोक से स्वर्ग सिधार गई हैं। उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड की राजनीति में ढ़ाई दशक से भी अधिक समय की पारी खेलने वाले उत्तराखण्ड सरकार के पूर्व शिक्षा मंत्री नरेन्द्र सिंह भण्डारी, लोक संस्कृति के संवर्धन के क्षेत्र में सशक्त हस्ताक्ष्र राम रतन काला एवं राज्य ख्याति प्राप्त वरिष्ठ ईएनटी सर्जन डा0 भूपेन्द्र अग्रवाल अब हमारे बीच नहीं रहे।
पूर्व शिक्षा मंत्री नरेंद्र भंडारी
उत्तराखंड में कांग्रेस के दिग्गज नेता एवं पूर्व शिक्षामंत्री नरेंद्र सिंह भंडारी का हृदय गति रुकने से निधन हो गया। वह करीब 92 साल के थे। नरेंद्र भंडारी उत्तराखंड के एक मात्र ऐसे शिक्षा मंत्री रहे, जिनके कार्यकाल में शिक्षा विभाग में सर्वाधिक 56 हजार नियुक्तियां हुई थी। यही नहीं, उन्होंने उत्तराखंड में एनसीआरटी भी लागू करवाया था।
वह उत्तराखंड में पौड़ी जिले के कोटद्वार में निवास कर रहे थे। बीती 19 मई की देर रात उन्होंने अपने आवास में अन्तिम सांस ली। उनके दो बेटे शैलेंद्र और दीपेंद्र भंडारी हैं। दीपेंद्र उत्तराखंड कांग्रेस में प्रदेश सचिव हैं। नरेंद्र सिंह भंडारी के निधन पर प्रदेश और कांग्रेस में शोक की लहर है।
नरेंद्र भंडारी पौड़ी के प्रतिष्ठित परिवार से थे। उनके बड़े भाई सुल्तान सिंह भंडारी लगभग पांच बार उत्तर प्रदेश विधान परिषद सदस्य रहे। प्रारंभ से लेकर उनकी माध्यमिक शिक्षा पौड़ी जिले में हुई।

राजनीतिक सफर
नरेंद्र भंडारी को वर्ष 1980 में हेमवती नंदन बहुगुणाजी ने कांग्रेस का टिकट दिलाया और वह पौड़ी विधानसभा से जीत गए। यहीं से वह चर्चा में आए। इस दौरान बहुगुणा जी ने कांग्रेस छोड़ी तो नरेंद्र भंडारी भी उत्तराखंड के उन चार विधायकों में थे, जो कांग्रेस छोड़कर बहुगुणाजी के साथ रहे। उनके साथ शिवानंद नौटियाल, कुंवर सिंह नेगी, भारत सिंह रावत ने भी कांग्रेस छोड़ी थी। इसके बाद वे बहुगुणा जी से उनकी मृत्यु तक जुड़े रहे।
जनता दल में हुए शामिल
वर्ष 1984 में बहुगुणा जी की दमकिपा से चुनाव हारने और बहुगुणा जी की मौत के बाद 1989 में नरेंद्र भंडारी जनता दल में शामिल हुए। वर्ष 1989 में उन्हें जनता दल से पौड़ी विधानसभा चुनाव के लिए टिकट मिला। वह इस सीट से चुनाव जीत गए। इस दौरान वह पर्वतीय विकास परिषद के अध्यक्ष बने।
इसके बाद समाजवादी पार्टी का गठन होने पर वह वर्ष 1991 में सपा के संस्थापक सदस्यों में एक रहे। वर्ष 1993 में वह सपा के टिकट से पौड़ी विधानसभा सीट से चुनाव लड़े, लेकिन हार गए। उस दौरान विनोद बड़थ्वाल की अध्यक्षता वाली उत्तराखंड राज्य निर्माण समिति के वह सदस्य रहे। साथ ही उन्होंने राज्य निर्माण को लेकर समिति की रिपोर्ट तैयार करने में अहम भूमिका निभाई।
राज्य आंदोलन के दौरान छोड़ दी सपा
नरेंद्र भंडारी ने वर्ष 1994 में राज्य आंदोलन के दौरान समाजवादी पार्टी छोड़ दी। वह कांग्रेस में चले गए। वर्ष 2002 में कांग्रेस के टिकट से वह उत्तराखंड में पौड़ी विधानसभा सीट से चुनाव लड़े और जीत गए। एनडी तिवारी सरकार में वह शिक्षा मंत्री रहे। उन्होंने पूरे पांच साल तक शिक्षा मंत्री के रूप में कार्य किया। उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि ये है कि इन पांच सालों में उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में अहम योगदान दिया। उस दौरान उत्तराखंड में शिक्षा विभाग में सर्वाधिक करीब 56 हजार नियुक्तियां की गई। साथ ही उन्होंने उत्तराखंड में एनसीआरटी को लागू करवाया। वर्ष 2007 का चुनाव हारने के बाद उन्होंने चुनाव लड़ने से किनारा कर दिया।

मैकू ब्योली खुजै द्यावा यानि रामरतन काला
मैकू ब्योली खुजै द्यावा के बोलके लिये प्रसिद्ध रंगकर्मी, लोक कलाकार, जीवटता की एक मिशाल उत्तराखण्ड की संस्कृति के जाने-माने लोक कलाकार और आकाशवाणी नजीबाबाद से प्रसारित गढ़वाली कार्यक्रम ग्रामजगत में रा_ र_ दा के नाम से सुप्रसिद्ध, नाटकों के बी हाई के कलाकार व गढ़वाली लोकगीतों के जनक रामरतन_ काला (रा र दा) ने अपने निवास पर अन्तिम सांस ली और इस दुनिया को अलविदा कह गये है।

रामरतन काला ने गढ़वाली फिल्मों, लोकगीतों, नाटकोंमें बेहतर अभिनय की छाप छोड़ी है। उनके अनेकों वीडियो लोकप्रिय हुए हैं। इसको देखते हुए 2014 में उन्हें उत्तराखण्ड यंग सिने अवार्ड ने रामरतन काला को लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरूष्कार से सम्मानित किया था।
आकशवाणी की प्रसिद्ध एंकर रेनु कोटनाला नें अपनी फेसबुक टाइमलाइन में लिखा है कि मुझे रामरतन काला के साथ कई कार्यक्रमों में काम करने का अवसर मिला। विशेषरूप से आकाशवाणी नजीबाबाद से प्रसारित अनिल भारती जी के दिशा-निर्देशन में तैयार हास्य-व्यंग्य का कार्यक्रम हास_परिहास में काला जी के साथ ख़ूब मौक़ा मिलता था काम करने का और सीखने का भी। सच में वह दिन कभी भुलाए नहीं जा सकते। अभी कुछ समय पहले ही गढ़वाल_सभा के होली मिलन-समारोह में मिलना हुआ था काला जी से। इतने खुशी- खुशी मिले थे। मैंने उनसे कहा भी कि सर जब भी आपसे मिलती हूँ तो आपके चेहरे में ऐसा क्या है कि आपको देखते ही मुझे हंसी आ जाती है, तो मेरे इतना सुनते ही उनकी आंखों से आंसू छलक पड़े थे। कह कुछ नहीं पाए सिर्फ़ मुस्कुराते हुए मेरे सर पर हाथ रख दिया। सोचा नहीं था कि यह आखिरी मुलाक़ात होगी हास्य व्यंग के इस कलाकार से।

पौड़ी गढ़वाल का पहला ईएनटी सर्जन भूपेन्द्र अग्रवाल

पौड़ी गढ़वाल के सरकार और गैसरकारी क्षेत्र में कोटद्वार के पहला ईएनटी सर्जन भूपेन्द्र अग्रवाल भी इस इहिलोक से विदा हो गये हैं। उन्होंने भी कल रात अपने निवास पर अन्तिम सांस ली। डा0 भूपेन्द्र अग्रवाल कोटद्वार के सरस्वती और लक्ष्मी के पुत्र नाथूलाल अग्रवाल के पुत्र थे। उन्होंने लगभग 43 साल पहले डाक्टरी की परीक्ष पास कर कोटद्वार में ही चिकित्सा सेवा का संकल्प लिया। वे कोटद्वार ही नहीं बल्कि जनपद पौड़ी गढ़वाल में तब एकमात्र इएनटी सर्जन थे। जो प्रदेश के गिने चुने इएनटी सर्जनों में सुमार थे। आज जब ब्लैक फंगस की बीमारी ने जनमानस को सकते में डाल रखा हो तब मसहूर इएनटी सर्जन भूपेन्द्र अग्रवाल के निधन से वाकई क्षेत्र को उनकी बहुत बड़ी कमी महसूस होगी।
दुख का विषय यह है, कि हम चाहते हुए भी, कुछ भी नहीं कर सकते, बस ईश्वर से अंतर आत्मा से विनम्र प्रार्थना कर यही विनती कर सकते हैं कि दिवंगत आत्माओं को अपने श्री चरणों में स्थान देकर शांति प्रदान करें।। केवल यही शब्द हम लोगों के पास हैं, ओम शांति शांति शांति।।

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