नेटवर्क अभाव में शापीस बनें मोबाइल, अपनों से बात करने को सात किलोमीटर की दौड़
लैंसडौन क्षेत्र के ग्राम बेडहाट छोटा सहित अन्य गांव में बनी है समस्या
कुछ दिन पूर्व गांव में एक महिला को बाघ ने बनाया था निवाला
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : भले ही सरकार देश को डिजिटल बनाने की बात कर रही हो। लेकिन, हकीकत यह है कि लैंसडौन विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत नैनीडांडा प्रखंड में स्थित ग्रो बेडहाट छोटा आज भी मोबाइल नेटवर्क की राह देख रहा है। हालत यह है कि ग्रामीणों को अपनों से बात करने के लिए कई किलोमीटर की दौड़ लगानी पड़ती है। ग्रामीणों के मोबाइल केवल शोपीस बनकर रह गए हैं। कुछ दिन पूर्व गांव में बाघ ने एक महिला को अपना निवाला भी बनाया था।
लैंसडौन विधानसभा के अंतर्गत नैनीडांडा प्रखंड के ग्राम बेडहाट छोटा ही नहीं, इसके दस किलोमीटर के दायरे में बसे अन्य गांवों में भी मोबाइल नेटवर्क की यही स्थिति है। पिछले दिनों यहां एक महिला को बाघ ने भी अपना निवाला बना दिया था। सरकारी तंत्र मौके पर पहुंचा तो पता चला कि मोबाइल नेटवर्क के अभाव में घटना की सूचना देने के लिए भी ग्रामीणों को गांव से करीब तीन किमी. दूर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के समीप आना पड़ा था।
नेटवर्क के लिए सात किमी की दौड़
सिर्फ बेडहाट छोटा ही नहीं, करीब दस किमी. दायरे में फैले ग्रामसभा नारद मोक्षण, ग्रामसभा बेडहाट, ग्रामसभा रणजीत मोक्षण, ग्रामसभा गंगोली, ग्रामसभा गोला, ग्रामसभा चामसैण, ग्रामसभा कमंदा के साथ ही मंगेड़ी तल्ली, उनियाल मोक्षण, सिलखेरा, झुडंगू, भुंड, बसेड़ी, बकरोटी गांवों के ग्रामीणों को भी नेटवर्क की तलाश में यहांवहां भटकना पड़ता है। नेटवर्क की तलाश में छह-सात किमी. दूर टेट गांव तक आना पड़ता है।
प्रशासन से कई बार की गई मोबाइल टावर लगाने की मांग
पीएमओ में भी भेजी शिकायत
ग्रामीणों शासन-प्रशासन से कई मर्तबा गांव में मोबाइल टावर लगाने की मांग की। लेकिन, कोई फायदा नहीं हुआ। अंत में ग्रामीणों ने प्रधानमंत्री कार्यालय को अपनी मांग के संबंध में एक पत्र भेजा। प्रधानमंत्री कार्यालय ने भारत संचार निगम लिमिटेड को इस संबंध में दिशा-निर्देश दिए। लेकिन, अभी तक निगम ने इस क्षेत्र में मोबाइल टावर लगाने की जहमत नहीं उठाई है। ग्रामसभा नारद मोक्षण के प्रधान अजय कुमार के साथ ही विजेंद्र सिंह, नितीश मधवाल सहित अन्य ने बताया कि कोविड काल में जहां तमाम गांवों में प्रवासी वापस लौटे, उनके क्षेत्र नेटवर्क न होने के कारण प्रवासी भी घर वापस नहीं लौटे।