सर्वदलीय बैठक के दौरान उठा भारत के राज्यों की खराब स्थिति का मुद्दा, विपक्ष और सरकार आमने-सामने
नई दिल्ली। सरकार ने सात दशकों में सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहे श्रीलंका में बिगड़ती स्थिति पर मंगलवार को एक सर्वदलीय बैठक की जानकारी दी। विदेश मंत्री एस जयशंकर और संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ब्रीफिंग में सरकार के वरिष्ठ सदस्यों में से थे। इस दौरान विदेश मंत्री ने कहा कि श्रीलंका में हालात विकट हैं और भारत इसे लेकर चिंतित है। सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में भारतीय राज्यों की वित्तीय स्थिति के जिक्र पर आपत्ति भी जताई गई। टीआरएस ने इस पर विरोध जताया।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सर्वदलीय बैठक में कहा कि श्रीलंका एक बहुत गंभीर संकट का सामना कर रहा है जो भारत को स्वाभाविक रूप से चिंतित करता है। उन्होंने भारत में इस तरह की स्थिति उत्पन्न होने की संभावना को खारिज कर दिया। जयशंकर ने कहा, हमने आप सभी से सर्वदलीय बैठक में शामिल होने का अनुरोध करने के लिए पहल की, यह एक बहुत ही गंभीर संकट है और हम श्रीलंका में जो देख रहे हैं वह कई मायनों में एक अभूतपूर्व स्थिति है।
उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा मामला है जो एक बहुत करीबी पड़ोसी से संबंधित है और करीबी निकटता को देखते हुए हम स्वाभाविक रूप से इसके परिणामों के बारे में चिंतित हैं। जयशंकर ने यह भी कहा कि श्रीलंका के संदर्भ में कुछ गलत जानकारी वाली तुलना देखी गई है, जिसमें कुछ लोगों ने पूछा है कि क्या भारत में ऐसी स्थिति आ सकती है।
श्रीलंका पर सर्वदलीय बैठक के बाद विदेश मंत्री ने कहा, हमने दो प्रेजेंटेशन दिखाए। एक राजनीतिक दृष्टिकोण से किया गया था, दूसरा विदेश नीति के दृष्टिकोण से, जिसके जरिए सभी नेताओं को समझाया गया कि श्रीलंका में राजनीतिक अशांति, आर्थिक संकट औराण की स्थिति क्या है। भारत ने 3़8 बिलियन डलर की सहायता दी है। किसी अन्य देश ने इस वर्ष श्रीलंका को इस स्तर का समर्थन नहीं दिया है।
सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में भारतीय राज्यों की वित्तीय स्थिति के जिक्र पर आपत्ति जताई गई। टीआरएस सूत्र ने कहा कि हमने राज्य के उधार के जिक्र पर कड़ी आपत्ति जताई। केंद्र जो उधार ले रहा है उस पर चर्चा क्यों नहीं? इसमें राजनीति क्यों लाते हो? भाजपा कार्यालय ने अपने राजनीतिक उद्देश्यों के माध्यम से तेलंगाना के वित्तीय मुद्दों को उजागर किया है।
सर्वदलीय बैठक में राजकोषीय विवेक और श्रीलंका की स्थिति से सीख लेने पर चर्चा की गई। कुछ दलों ने इस मामले को लाने के कदम का विरोध किया और सवाल उठाया। जबकि कुछ दलों ने राजकोषीय विवेक पर चर्चा करने के विचार का समर्थन किया।
बैठक में कांग्रेस नेता पी चिदंबरम और मनिकम टैगोर, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के शरद पवार, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के टी आर बालू और एम एम अब्दुल्ला भी शामिल हुए। एम थंबीदुरई (अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम), सौगत रे (तृणमूल कांग्रेस), फारूक अब्दुल्ला (नेशनल कन्फ्रेंस), संजय सिंह (आम आदमी पार्टी), केशव राव (तेलंगाना राष्ट्र समिति), रितेश पांडे (बहुजन समाज पार्टी), विजयसाई रेड्डी (वाईएसआर कांग्रेस) और वाइको (मरुमालार्ची द्रविड़ मुनेत्र कड़गम) भी बैठक में शामिल हुए। श्रीलंका सात दशकों में अपने सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहा है, जिसमें विदेशी मुद्रा की गंभीर कमी के कारण भोजन, ईंधन और दवाओं सहित कई आवश्यक वस्तुओं के आयात में बाधा आ रही है।