कोटद्वार-पौड़ी

कोटद्वार में मेडिकल कॉलेज खोलने की कवायद शुरू, स्वास्थ्य सचिव ने किया दौरा

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इनवेस्टर्स मीट में कोटद्वार के लिए मेडिकल कालेज का रखा जाएगा प्रस्ताव
राजकीय बेस चिकित्सालय कोटद्वार की अव्यवस्थाओं पर भड़के स्वास्थ्य सचिव
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : कोटद्वार में मेडिकल कॉलेज खुलने की कवायद फिर शुरू हो गयी है। उत्तराखण्ड स्वास्थ्य महकमें के सचिव डॉ. आर राजेश ने गुरुवार को कोटद्वार में मेडिकल कॉलेज के लिए चयनित भूमि का निरीक्षण किया। स्थानीय राजकीय बेस हॉस्पिटल में पहुंचे स्वास्थ्य सचिव डॉ. राजेश ने कहा कि प्रदेश में इनवेस्टर्स मीट में कोटद्वार के लिए मेडिकल कॉलेज का प्रस्ताव रखा जाएगा। उम्मीद है कि कोई न कोई इनवेस्टर्स इसमें रुचि लेंगे। जिससे कोटद्वार मेडिकल कॉलेज का सपना पूरा होगा। इस दौरान स्वास्थ्य सचिव ने बेस चिकित्सालय की व्यवस्थाओं का भी जायजा लिया। वहां फैली अव्यवस्थाओं पर उन्होंने नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने डेंगू के टेस्ट पर जोर देकर कहा कि एक बार नेगेटिव आने के बाद कुछ समय के अन्तराल में दुबारा किया जाय।
तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने कोटद्वार के लछमपुर में मेडिकल कॉलेज निर्माण के लिए भूमि चिह्रित की गई थी। लेकिन, कई वर्ष बीत जाने के बाद भी अब तक मेडिकल कॉलेज का सपना धरातल पर नहीं उतर पाया है। ऐसे में अब एक बार फिर इस सपने को हवा लगी है। कोटद्वार पहुंचे स्वास्थ्य सचिव ने भूमि का निरीक्षण करते हुए जल्द मेडिकल कॉलेज निर्माण करवाने की बात कही। कहा कि मेडिकल कॉलेज को पीपीपी मोड पर बनवाने की प्रक्रिया अमल में लाई जा रही है। इसके उपरांत कोटद्वार बेस अस्पताल पहुंचे स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर राजेश कुमार चिकित्सालय का निरीक्षण किया। स्वास्थ्य सचिव ने आपातकालीन कक्ष, सीटी स्कैन मशीन, एमआरआई मशीन के बारे में जानकारी ली। कहा कि मरीजों को इसका बेहतर लाभ मिले इस पर विशेष ध्यान दिया जाए। इसके उपरांत स्वास्थ्य सचिव व अस्पताल में बने डेंगू वार्ड का निरीक्षण किया। उन्होंने वहां भर्ती मरीजों से अस्पताल में मिलने वाले उपचार के बारे में भी जानकारी ली। निरीक्षण के दौरान भर्ती एक महिला ने स्वास्थ्य सचिव को बताया कि एक दिन पूर्व उन्हें डेंगू ठीक होने की बात कह कर घर भेज दिया गया था। लेकिन, देर रात अचानक उनकी तबीयत दोबारा खराब होने लगी। उपचार में इस तरह की लापरवाही पर भड़के स्वास्थ्य सचिव ने चिकित्सकों को फटकार लगाई। कहा कि डेंगू के सभी मरीजों का रेपिड एंटीजन, एलाइजा टेस्ट करवाया जाना आवश्यक है। यदि इस तरह की शिकायत दोबारा मिली तो संबंधित चिकित्सक के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। स्वास्थ्य सुधार की पूरी पुष्टि होने के बाद ही मरीज को अस्पताल से छुट्टी दें। इसके बाद स्वास्थ्य सचिव ने जच्चा-बच्चा वार्ड का निरीक्षण किया। यहां उन्हें वार्ड में कोई भी चिकित्सक या स्वास्थ्य कर्मी देखरेख करता हुआ नजर नहीं आया। स्वास्थ्य सचिव ने चिकित्सकों की इस कार्य प्रणाली पर रोष व्यक्त करते हुए व्यवस्थाओं में सुधार लाने के निर्देश दिए। निरीक्षण के दौरान पैथोलाजी लैब में पहुंचे स्वास्थ्य सचिव ने डेंगू की जांच के लिए करवाए जा रहे टेस्ट के बारे में जानकारी ली। लेकिन, वह लैब में तैनात चिकित्सक की बातों से संतुष्ट नहीं हुए। कहा कि शिकायत मिल रही है कि रिपोर्ट में प्लेट्स सहित अन्य जानकारी को पैन से लिखकर दिया जा रहा है। उन्होंने मुख्य चिकित्साधिकारी डा. प्रवीण कुमार व प्रमुख अधीक्षक डा. विजयेश भारद्वाज को व्यवस्था सुधारने के निर्देश दिए। निरीक्षण के दौरान अव्यवस्थाओं पर भड़के स्वास्थ्य सचिव ने यह तक कह दिया कि बेस अस्पताल की पूरी व्यवस्थाएं हवा में चल रही हैं। कहा कि चिकित्सालय में सरकार की योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाने के लिए प्रचार-प्रसार का अलग से बजट उपलब्ध करवाया जाता है। लेकिन, गर्भवती व प्रसूता महिलाओं को योजना के बारे में कोई जानकारी नहीं दी जा रही है। उन्होंने चिकित्साधिकारी प्रवीण कुमार को शहर में संचालित हो रहे लैब की भी जांच करवाने के निर्देश दिए। कहा कि लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

समस्याओं का जल्द होगा निराकरण
पत्रकारों से वार्ता करते हुए स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि प्रदेश में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं की योजना बनाई जा रही है। दूरस्थ क्षेत्र में भी बेहतर स्वास्थ्य लाभ मिलें इसके लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने बेस अस्पताल में बंद पड़े जन औषधी केंद्र को खुलवाने की भी बात कही। कहा कि लोगों को बाहर से महंगी दवाएं नहीं खरीदनी पड़ेगी।

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