एक साल से शासन में लटके हैं 4 नगरों के पंपिंग योजनाओं के प्रस्ताव
रुद्रप्रयाग। रुद्रप्रयाग जिले के चार बड़े कस्बे पानी के लिए तरस रहे हैं। अलकनंदा और मंदाकिनी के समीप होने के बावजूद इन कस्बों में गर्मियों के वक्त पानी के लिए हाहाकार मच जाता है किंतु जल संस्थान, प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की मूकदर्शता इन जल संकट से जुझ रहे नगरों की आस पूरी नहीं कर सका है। एक साल से 4 नगरों के पंपिंग योजनाओं के प्रस्ताव अब भी शासन में लटके हैं। कहा जा रहा है कि अब जल जीवन मिशन शहरी योजना में जिले के 55 हजार लोगों को पानी देने की योजना है। रुद्रप्रयाग नगर जिले का मुख्यालय है। वर्तमान में यहां करीब 20 हजार की आबादी है। सांस्कृतिक एवं खेल गतिविधियों के केंद्र अगस्त्यमुनि में भी 15 हजार की आबादी है। तिलवाड़ा और ऊखीमठ में क्रमशº 10-10 हजार की आवादी है। ऐसे में इन नगरीय कस्बों में बीते कई सालों से पानी का संकट गहराता जा रहा है। जनता कई सालों से पंपिंग योजना की मांग कर रही है किंतु अलकनंदा और मंदाकिनी के मुहाने पर मौजूद इन कस्बों को पंपिंग योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। इस कारण आए दिन लोगों को पेयजल संकट से जूझना पड़ता है। इसलिए कई बार लोग आपूर्ति सुचारू करने की मांग कर चुके हैं। बीते वर्ष जल निगम द्वारा पंपिंग योजना के लिए रुद्रप्रयाग को 33 करोड़, तिलवाड़ा को 16 करोड़, अगस्त्यमुनि को 29 करोड़ और ऊखीमठ को 14 करोड़ के प्रस्ताव डीपीआर सहित शासन में भेजे गए किंतु इनके लिए धनराशि तक स्वीकृत नहीं हो पाई। जल निगम का कहना है कि अब ईएटी में जल जीवन मिशन शहरी में चारों पंपिंग योजनाओं के लिए धनराशि मिलने की उम्मीद है। स्थानीय लोगों का कहना है कि जिस तरह पौड़ी, श्रीनगर, टिहरी, उत्तरकाशी में पानी की बेहतर व्यवस्थाएं हैं उसी तरह रुद्रप्रयाग में भी पानी का संकट दूर किया जा सकता है किंतु इसके लिए दृढ़ इच्छाशक्ति की कमी रही है।
4 नगरों की यह है जरूरत: रुद्रप्रयाग, तिलवाड़ा, अगस्त्यमुनि और ऊखीमठ के लिए 135 एलपीसीडी पानी की जरूरत है। जबकि वर्तमान में यहां 55 एलपीसीडी पानी की ही आपूर्ति की जा रही है। यह चिंता का विषय है। गर्मियों में इसी बजह से लोगों को जल संकट का सामना करना पड़ता है।
अब जल जीवन मिशन शहरी योजना में रुद्रप्रयाग, तिलवाड़ा, अगस्त्यमुनि और ऊखीमठ के लिए पंपिंग योजना स्वीकृत होने की प्रबल संभावना है। यह योजना 30 सालों तक लोगों के लिए पानी की आपूर्ति को देखते हुए स्वीकृत होगी। स्वीकृति के एक से दो साल के भीतर काम पूरा हो जाएगा।
-नवल कुमार, ईई जल निगम