प्राथमिक शिक्षकों ने शासनादेश को वापस लेने की मांग की

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स्थानांतरण सत्र शून्य घोषित हाने से प्राथमिक शिक्षकों में आक्रोश
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार।
स्थानांतरण सत्र शून्य किये जाने पर जनपद पौड़ी के प्राथमिक शिक्षकों में रोष व्याप्त है। शिक्षकों ने कहा कि धारा-27 के अन्तर्गत शिक्षा विभाग द्वारा प्राथमिक शिक्षकों से स्थानांतरण के लिए नवम्बर 2020 में आवेदन मांगे गये थे, लेकिन कई माह बीतने के पश्चात भी धारा-27 की स्थानांतरण सूची जारी नहीं की गयी। शिक्षकों ने प्रदेश सरकार से इस निर्णय को वापस लेने की मांग की है।
उत्तराखण्ड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला मंत्री दीपक नेगी ने कहा कि उत्तराखण्ड में लोक सेवकों के लिए तबादला एक्ट-2017 (स्थानांतरण अधिनियम-2017) में लागू किया गया था, लेकिन वर्तमान समय तक इस तबादला एक्ट को इसकी मूल भावना के अनुरुप सरकार द्वारा लागू नहीं किया जा सका हैं। सरकार के स्थानांतरण सत्र शून्य करने के निर्णय से वर्षो से दुर्गम क्षेत्रों में सेवाऐं दे रहे प्राथमिक शिक्षकों को भारी निराशा हुई हैं। तबादला एक्ट संगठन के दबाव के कारण ही सरकार द्वारा लागू किया गया था, लेकिन दुर्भाग्य हैं कि इस एक्ट को लम्बे समय से सरकार द्वारा कोई भी लाभ शिक्षकों को नहीं दिया गया। सरकार द्वारा कोरोना महामारी व वित्तीय बोझ का हवाला देकर स्थानांतरण सत्र को शून्य कर दिया गया हैं, जबकि शिक्षकों के स्थानांतरण होने पर सरकार के शासनादेश के अनुसार कोई भी यात्रा भत्ता नहीं दिया जाता हैं। विगत चार वर्षो से शिक्षकों के तबादले नहीं हुए हैं। यह शिक्षकों के हितों की घोर अनदेखी व सरकार की विफलता हैं। संगठन लंबे समय से मांग करता आ रहा हैं कि अंतरमंडलीय स्थानांतरण चाहने वाले शिक्षकों को भी एक बार अपने गृह जनपद जाने का अवसर दिया जाय, लेकिन कोरे आश्वासनों के अलावा सरकार द्वारा कुछ नहीं किया जा रहा है। दीपक नेगी ने कहा कि धारा-27 के अन्तर्गत शिक्षकों द्वारा स्थानांतरण के लिए किये गये आवेदन की सूची अतिशीघ्र जारी की जाय। शिक्षक संघ ने स्थानांतरण सत्र शून्य किये जाने के फैसले को वापस लेने व प्रत्येक सेवर्ग में 10 प्रतिशत स्थानांतरण को बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने की मांग की है। जिससे अधिक से अधिक शिक्षकों को तबादला एक्ट का लाभ मिल सके।

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