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त्याग, बलिदान व सेवा की मिशाल थे आपातकाल के शहीद नरेंद्र उनियाल : भगत सिंह कोश्यारी

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आपातकाल के शहीद लोकतंत्र सेनानी-पत्रकार नरेंद्र उनियाल को दी श्रद्धांजलि
पूर्व राज्यपाल ने नरेंद्र उनियाल की जीवनी पर लिखी पुस्तक का किया विमोचन
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने कहा कि आपातकाल के शहीद नरेंद्र उनियाल त्याग, बलिदान व सेवा की मिशाल थे। समाज सेवा के लिए दिया गया उनका योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने युवाओं से महापुरुषों के जीवन पर लिखी पुस्तकों का अध्ययन कर उनके बताए मार्ग पर चलने की भी अपील की। कहा कि एक बेहतर सोच ही बेहतर भारत का निर्माण कर सकती है। इस दौरान नरेंद्र उनियाल की जीवनी पर लिखी पुस्तक का भी विमोचन किया गया।


शनिवार को बदरीनाथ मार्ग स्थित प्रेक्षागृह में नरेंद्र उनियाल मेमोरियल चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से स्व. नरेंद्र उनियाल की जयंती मनाई गई। मुख्य अतिथि पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी, गो सेवा आयोग के अध्यक्ष पंड़ित राजेंद्र अण्थ्वाल, कृषि मंडी समिति के अध्यक्ष सुमन कोटनाला, नरेंद्र उनियाल मेमोरियल चैरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष नागेंद्र उनियाल व योगेश पांथरी ने स्व. नरेंद्र उनियाल के चित्र पर पुष्प अर्पित करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी। गढ़वाल सभा के सदस्य शशिभूषण अमोली ने गणेश वंदना की मधुर प्रस्तुति देकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया। मुख्य अतिथि पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने कहा कि सेवा की भावना नरेंद्र उनियाल के भीतर बाल्यकाल से ही जागृत थी। उन्होंने कई जनआंदोलनों में अपनी भागीदारी दी। नरेंद्र उनियाल के मन में पहाड़ की पीड़ा थी जब लोकतंत्र के लिए सवाल उठे तो उन्होंने घर बैठना मुनासिब नहीं समझा और जन हित में संघर्ष करने लगे। जनता की आवाज उठाने के लिए उन्हें जेल भी जाना पड़ा। जन संघर्षों के लिए दिया गया नरेंद्र उनियाल का योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता। कहा कि युवाओं को महापुरुषों के बताए मार्ग पर चलकर बेहतर देश निर्माण में अपना योगदान देना चाहिए। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए योगेश पांथरी ने कहा कि 1975 में इमरजेंसी में पौड़ी कारगृह में बंद नरेंद्र उनियाल को कारगार की यातना और तपेदिक की बीमारी भी तोड़ नहीं पाई और 19 मास की जेल यात्रा से निकले नरेंद्र उनियाल में साहस की जो ज्वाला देखने को मिली उसे देखकर ऐता प्रतीत हुआ कि ईश्वर इन्हीं व्यक्तियों को विशेष कार्य के लिए धरती पर भेजता है। परमानंद बलोदी ने कहा कि स्व. नरेंद्र उनियाल से मेरा पचिय मेसमोर इंटर कालेज पौड़ी में वर्ष 1968-69 में रंगमंच पर हुआ था। पौड़ी गढ़वाल के विभिन्न विद्यालयों का गढ़देवा हुआ करता था। जिसमें खेलकूद के साथ-साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम भी हुआ करते थे। कहा कि 26 जून 1975 को मैं नरेंद्र के साथ पौड़ी में था, बहुगुणा क्लीनिक में बैठकर राष्ट्र चिन्तन पर चर्चा चल रही थी, आपातकाल की घोर निंदा कर रहे थे। सामाचारों में देश के बड़े-बड़े नेताओं को बंदी बनाने का समाचार मिल रहा था। नरेंद्र जी ने सोचा कि पौड़ी गढ़वाल से अभी तक किसी की भी गिरफ्तारी नहीं हुई। फिल्म हॉल पौड़ी से तत्कालीन एसपी पुत्तू लाल को फोन लगाया कि मैं इंदिरा गांधी द्वारा लागू आपातकाल की घोर निंदा करता हूं आप में हिम्मत है तो मुझे गिरफ्तार करें। पुलिस दलबल के साथ आई और श्री नरेंद्र जी को गिरफ्तार कर ले गई। जेल में डालकर अन्यत्र भेज दिया गया। कहा कि नरेंद्र उनियाल सदैव समाज हित के लिए लड़ते रहे। इस मौके पर उत्तराखंड क्षत्रिय उत्थान संस्था के अध्यक्ष राजेंद्र सिंह रावत, सचिव धीरेंद्र सिंह नेगी, संस्थापक उमेद सिंह चौहान, शिशुपाल नेगी, धर्मवीर सिंह, अर्चना शर्मा, अरूण भट्ट, अमित कुमार, लाजपतराय भाटिया, राजेंद्र जजेड़ी आदि मौजूद रहे। मंच संचालन रेनू कोटनाला व शिव प्रकाश कुकरेती ने किया।

इन लोगों को मिला सम्मान
समाजिक क्षेत्र में अपना योगदान देने वाले चंक्रधर शर्मा कमलेश, सत्यप्रकाश थपलियाल, डा. नंदकिशोर ढौंडियाल, सुरेंद्र लाल आर्य, महेंद्र सिंह रावत, सुभाष नौटियाल व अवनीश अग्निहोत्री को जयन्तश्री नरेंद्र उनियाल सम्मान से सम्मानित किया गया।

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