उत्तराखंड

विश्व में हर साल सात लाख लोगों की होती है आत्महत्या से मौत

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बागेश्वर। विश्व आत्महत्या निषेध दिवस पर मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्यरत सामाजिक संस्था अपनी धरोहर ने आत्महत्या की रोकथाम के लिए कार्यशाला का आयोजन किया। इस दौरान सामाजिक कार्यकर्ता नैना तिवारी लोहुमी ने प्रतिभागियों को आत्महत्या से जुड़ी जानकारियां दी और आत्मघाती विचारों से पीड़ित व्यक्ति को पहचानने के गुर बताए। यहां एक होटल में आयोजित कार्यक्रम में लोहुमी ने बताया कि आत्महत्या किसी महामारी के जैसे हर साल विश्व भर में करीब सात लाख लोग आत्महत्या करते हैं और लगभग हर 40 सेकेंड में एक व्यक्ति आत्महत्या करता है। वहीं उत्तराखंड प्रदेश में हर साल करीब 1700 से ज्यादा लोग आत्महत्या करते हैं। जो प्रतिदिन के चार से पांच के औसत के बीच है। जनपद में भी आत्महत्या की घटनाएं बढ़ रही हैं। उन्होंने कहा कि आत्महत्याओं मे ज्यादातर पुरुष हैं, और इसका कारण बाहर से सख्त बने रहना और अपनी भावनाओं को सही तरह से संतुलित न कर पाना है। गंभीर बीमारी, पारिवारिक कलह, आर्थिक कमजोरी, मानसिक विकार, परीक्षा में असफलता, तनाव, हताशा, थकान, कुंठा, गुस्सा, अकेलापन, और बर्दाश्त ना कर सकने के कारण व्यक्ति ऐसे कदम उठाता है। आत्महत्या करने वालों में 95 प्रतिशत की उम्र 12 से 40 के बीच होती है, इनमे 12 से 28 वर्ष के व्यक्ति लगभग 70 प्रतिशत होते हैं। बचाव के उपाय के लिए उन्होंने बताया कि अकेलेपन से बचें, लोगों के बीच अधिक समय बिताएं, परिवार के साथ बैठ कर परेशानी का हल निकालें, गुस्से पर काबू रखें, अपने आप को खुश रखें और खुशनुमा माहौल में रहें, अपने रुझान के कार्यो को जरूर करें, अधिक तनाव से बचें, रिश्तों को बेहतर तरीके से निभाए और संतुलन रखे, अपने मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए उस पर अधिक काम करें। इस दौरान संस्था के उमेश साह, कैलाश अंडोला, ब्रजकिशो वर्मा, अल्का लोहनी , ममता कोरंगा, अंजू सिंह, नीमा गोस्वामी, रेखा गोस्वामी, तुलसी देवी, आषा देवी, किरन साह, मंगला देवी, नीमा देवी, महेश भट्ट, नीमा देवी, हरीश सिंह तथा चंद्रा उपाध्याय आदि उपस्थित थे।

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