उत्तरकाशी टलन निर्माण पर एक्सपर्ट ने उठाए कई सवाल
उत्तरकाशी। उत्तरकाशी टलन निर्माण पर अब कई सवाल खड़े हो रहे हैं। रेस्क्यू अभियान के बीच टनल के निर्माण के मानक, गुणवत्ता पर भी सवाल उठने लगे हैं। सवाल यह है कि टनल निर्माण के दौरान बिना कंक्रीट की ब्लकिंग किए ही काम आगे क्यों बढ़ाया जाता रहा? टनल के भीतर रखे ह्यूम पाइप को भी हटाने की जरूरत क्या थी? टनल में रेस्क्यू अभियान और घटना का अध्ययन करने पहुंचे अधिवक्ता श्रीकांत शर्मा ने भी कई गंभीर बिंदुओं को उठाया है। मूल रूप में सिविल इंजीनियर शर्मा सुप्रीम कोर्ट में वकालत करते हैं। श्रीकांत का कहना है कि टनल निर्माण में लापरवाही के लिए निर्माण एजेंसी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। जल्द ही इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल दाखिल की जाएगी। उधर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा भी निर्माण के मानकों की अनदेखी पर सवाल उठा रहे हैं। माहरा का कहना है कि टनल में घटना के बाद ह्यूम पाइप डाले जा रहे हैं। जबकि ये तो टनल बनने के साथ साथ ही डाले जाने चाहिए थे। जब भी कोई टनल बनाई जाती है तो उसके अंदर सेफ ट्रेंचिंग करके पूरी तरह कंक्रीट की ब्लकिंग की जाती है। इससे ऊपर पहाड़ी से कितना भी दबाव आए, वही कंक्रीट ब्लकिंग सुरंग को संभालने का काम करती है। लेकिन यहां ऐसा नहीं हुआ और बीच में पोर्शन को बिना लाइनिंग और गार्टर रिब के ही छोड़कर आगे का काम किया गया। टनल में ह्यूम पाइप डाले गए थे, लेकिन उन्हें हटा दिया गया। आज उन्हीं ह्यूम पाइप की सहायता से भीतर फंसे मजदूर आसानी से बाहर निकल सकते थे। ह्यूम पाइप हटाने के पीटे किसी भी स्तर पर ठोस जवाब नहीं मिल पा रहा है। वर्तमान मे ड्रिलिंग कर रही मशीन बेहतरीन है। इससे रेस्क्यू अभियान सफल होने की पूरी उम्मीद है। लेकिन पहली मशीन लगाने का प्रयोग सही नहीं था। उसके आगे बाहर की तरफ सिर्फ एक ब्लैड लगाई गई थी। उससे की मदद से हार्ड रक पर ड्रीलिंग काफी मुश्किल होती है। यदि पहले ही नई मशीन मंगा ली जाती तो अब तक सभी लोग बाहर हो सकते थे।
हादसे के लिए जिम्मेदार कंपनी और अधिकारियों पर तत्काल मुकदमा दर्ज होना चाहिए। हादसे के दिन से ही सारे अपरेशन की जिम्मेदारी एडीएम रैंक के अधिकारी संभाल रहे हैं। खुद अधिकारी स्वीकार कर रहे हैं कि बचाव कार्य में लगी एजेंसियों के बीच तालमेल की कमी है।
-करन माहरा, प्रदेश अध्यक्ष कांग्रेस।
अभी पूरा फोकस रेक्यू कार्य पर है। टनल निर्माण में लापरवाही हुई है या नहीं, इन पहलुओं पर जांच पर बाद में विचार किया जाएगा।
-अंशु मनीष खलको, निदेशक एनएचआइडीसीएल।