उत्तराखंड

क्या उत्तरकाशी सुरंग निर्माण में ताक पर रखा गया श्रम कानून ?

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उत्तरकाशी। तो क्या सिलक्यारा टनल के भीतर खुदाई के लिए मजदूरों को उनकी स्वास्थ्य जांच किए बिना ही भेज दिया जाता था? यहीं नहीं टनल में जिदंगी के लिए जूझ रहे मजदूरों में केवल 13 का ही श्रम नियमों के अनुसार रजिस्ट्रेशन है। बाकी मजदूरों का विधिवत इंश्योरेंस भी नहीं है। श्रम कानूनों के पालन की जांच को आए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य अधिवक्ता राजेश कुमार राणा ने यह दावा किया है। इस कमेटी का गठन हाईकोर्ट के निर्देश पर किया जाता है। उन्होंने कहा कि टनल में मजदूरों के फंसने के बाद उन्हें मजदूरों के पंजीकरण व अन्य मामलों में जांच के निर्देश मिले हैं।
प्राधिकरण के सदस्य प्रभारी चिकित्साधिकारी-बड़कोट सीएचसी ड़अंगद राणा, पुरोला सीएचसी के ड़कपिल तोमर के साथ जब पड़ताल की गई तो कई बातें सामने आईं। उनके अनुसार टनल में फंसे 28 मजदूर तो बिना बीमा और पंजीकरण के काम कर रहे थे। नियमानुसार टनल के भीतर काम करने वाले मजदूरों और कार्मिकों का स्वास्थ्य परीक्षण भी होना चाहिए था। लेकिन मजदूरों का भी स्वास्थ्य परीक्षण नहीं कराया गया। यह गंभीर लापरवाही है। अधिवक्ता राणा ने बताया कि हाईकोर्ट को इसकी रिपोर्ट भेज दी गई है।
निर्माण कंपनी के प्रतिनिधि सुनील गौरव ने बताया कि कंपनी में काम करने वाले मजदूरों का श्रम विभाग में रजिस्ट्रेशन भी है और उन्हें बीमा सुरक्षा भी है। लेकिन, ठेकेदार के जरिए कार्यरत मजदूरों के बारे में उन्हें जानकारी नहीं है।
अपर जिला अधिकारी तीर्थ पाल सिंह ने बताया है कि फिलहाल पहली प्राथमिकता है कि सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों को सकुशल बाहर निकाल लिया जाए। शिकायतों की जांच इसके बाद की जाएगी। जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
रेस्क्यू अपरेशन के बाद होगी जांच रूएसपी
एसपी अर्पण यदुवंशी ने बताया कि टनल के भीतर फंसे मजदूरों को लेकर विभिन्न राज्यों से आए लोगों ने शिकायत भी की है। उनका आरोप है कि यहां मजदूरों बीमा और पंजीकरण भी नहीं कराया हुआ है। इस विषय को गंभीरता से लिया जा रहा है। रेस्क्यू अभियान पूरा होने के बाद सभी पहलुओं की जांच की जाएगी।
यह है व्यवस्थारू ई-श्रम कार्ड योजना के जरिए सरकार श्रमिको को दो लाख रुपये का दुर्घटना बीमा देती है। इसके लिए पात्र लाभार्थी को कोई भी प्रीमियम राशि नहीं देनी पड़ती है। योजना के तहत यदि कोई व्यक्ति दुर्घटना में दिव्यांग हो जाता है तो एक लाख रुपये की सहायता दी जाती है।

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